प्रतिपल स्वयं ज्वलित होकर
अग्नि की तपन भी सहकर
अँधेरे को स्वयं में समाहित कर
सबको प्रकाश पथ दिखाती हूँ मैं
एक मुस्कान हूँ मैं
अधरों की शोभा, आनंद उर का
जगत में व्याप्त इसकीतिलस्मी माया
सबको खुशी के अनमोल पल देकर
अंतस की वेदना छिपा जाती हूँ मैं
एक आशा हूँ मैं
जीवनदायिनी, प्रेरणाप्रदायिनी
बाधाओं पर विजयपताका फहराकर
निराशा के मेघों से सबको छिटककर
आभामंडित अमृत वर्षा बरसाती हूँ मैं
एक लक्ष्य हूँ मैं
प्रगति के पथ पर सदा अग्रसर होकर
लघु दीर्घ के प्रश्न से भी ऊपर उठकर
स्मृति विसाका का मिश्रित रूप बनकर
लक्ष्य संधान पर सदा आगे बढाती हूँ मैं
एक स्वप्न हूँ मैं
उमंगों, तरंगों की एक प्यारी दुनिया
सपनों के कागज़ पर लकीरें उकेरना
कुछ करने का जज्बा,आगे ही बढना
कल्पनाका यथार्थ से संगम कराती हूँ मैं
एक भावना हूँ मैं
सबके हृदय में आच्छादित संसार मेरा
अच्छाई बुराई को संग अपने मैं लेकर
सबके ही मस्तिष्क में करती हूँ बसेरा
रिश्तों की डोर को प्रगाढ़ बनाती हूँ मैं
एक लेखनी हूँ मैं
भावों की माला में शब्दों को पिरोकर
चारों ओर की खुशियाँ बेबसी देखकर
सबके दर्द को अपने अंदर महसूस कर
कविता कहानियाँ गढने का प्रयास करती हूँ मैं
-अलका शर्मा
शामली, उत्तर प्रदेश