नारी-जीवन का आधार

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 नारी से घर संसार,नारी जीवन का आधार है।

 गर नारी न हो तो,यह सृष्टि भी निराधार है।।

आज नारी असहाय नही, शक्ति का पर्याय है।

सीमा पर करती वार,गगन में भरती उड़ान है।।

नारी को कमजोर न समझो,नारी के रूप अनेक है।

नारी की शक्ति के आगे, देवता भी शीश झुकाते है।।

नारी जगत जननी ,सन्तान का सुख देती है।

एक बार नही कई बार,मर कर जनम लेती है।।

इतिहास के पन्ने पलटो ,नारी कब कमजोर असहाय रही?

सीता सती अनुसुइया लक्ष्मीबाई, त्याग वीरता की थी देवी।।

नारी की शालीनता खामोशी को, नारी की कमजोरी समझते हैं।

नारी पर जुल्म करने वाले, मर्द नही कायर होते हैं।।

नारी अपने पर आजाए तो, रावण को भी भस्म कर सकती है।

नारी ममता करूणा में,अपना सब कुछ वार देती है।।

नारी गंगा भी जमुना भी, नारी सागर सम खारी भी।

नारी धरा भी अंबर भी, नारी बृहृमाण्ड का परिचायक भी।।

नारी से घर संसार, नारी जीवन का आधार है।

 गर नारी न हो तो,यह सृष्टि भी निराधार है।।

 

-
प्रियंका पांडेय त्रिपाठी

प्रयागराज, उत्तर प्रदेश

 

 

 

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