मेरे देश के वीर

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जंग पर जब जाये सिपाही,

तो देशभक्ति बनती श्मसीर।

देश पर जो कुदृष्टि डाले,

देते ये उसका सीना चीर।

मृत्यु से कभी भय न खाते,

न कभी बहाते नीर।

मां भारती की सेवा में नित रहते,

भूलकर अपनी सारी पीर।

चेहरे पर मुस्कान बिखरे सदा,

न दिखते कभी धीर गंभीर।

अपने कर्तव्य को सदा महत्त्व देते,

और गर्व से कहते,

क्या पाई हमने तकदीर।

मातृभूमि पर जो सर्वस्व अर्पण कर दे,

ऐसे हैं मेरे देश के वीर।

 

-अंकिता जैन ‘अवनि

 

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