सीता सा पतित पावन प्रेम में,
समर्पित, जीवन कर जाना ,,,।
जीवन अट्टालिकाओं पर,
मर्यादा कुल की, अमर कर जाना,,,।
जलकर, सहनशीलता की अग्नि में,
दिव्य अलौकिक, प्रीत के नाम ,
अपना जीवन कर जाना,,,,।
आसान नहीं है, श्रद्धा त्याग में, मधु,,
सीता सा, अमर धरा हो जाना,,,,।
- मधु वैष्णव "मान्या"