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सृजन समूह शामली, उत्तर प्रदेश

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गुरुवार, 11 मार्च 2021

हिन्दी


बचपन की लोरी  और दुलार  है , हिन्दी ...

एक  माँ  का  मातृत्व  और प्यार  है , हिन्दी ...

    कभी  भारतेंदु "बाबुजी"  की आधुनिकता  में, झलकती  हुई ...

    कभी  "महादेवी " जी  का  काव्य  श्रीँगार  है , हिन्दी ....

कभी  विद्यालय  की प्रार्थनाओं  में  दिख  जाती  है ,

कभी  अक्षर  वर्णमाला  की शोभा  बढ़ाती  है ,

    कभी  रस , छन्द  और कभी  अलंकार  में  सुशोभित  हो ,

    किसी  लेखक  की लेखनी  बन  जाती  है ....

कभी  किसी  कवि  के मनोभावों  को  शब्द  देकर ,

कोरे  श्वेत  कागज  पे  उकेर  आती  है ....

    रचना  को  एक  सास्वत  स्वरूप  में  रूपान्तरित  करके ,

    उस कवि  की  स्वलिखित "कविता " हो जाती  है ....

कभी  निबंध ,कभी  सुलेख  और कभी  आलेख  होती  है ,

कभी  उपन्यास और कभी  कहानी वाला  लेख  होती  है ,

    कभी  किसी  पध्यांश  की विस्तृत  व्याख्या  करती  हुई ,

    कभी  कोई  पुरातन  सा  अभिलेख  होती  है  ...

संस्कृति  और संस्कार  का  , आधार  है  हिन्दी ....

बचपन  की लोरी  और दुलार  है , हिन्दी  ................

- कृष्णा  गुजराती 

वाराणसी, गुजरात 

  

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