बसंत तुम इठलाना मत

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बसंत तुम इठलाना मत

गीत बेसुरे गाना मत ।

          तुझसे सजेगी धरती प्यारी

          फूल फूल हर क्यारी क्यारी

          देख देख स्वयं की शोभा

          हम पर रोब जमाना मत ।

भँवरे गुञ्जेंगे तितली नाचेगी

कोयल तेरी गाथा बाँचेगी

सुनकर अपनी प्रशंसा उससे

अपना मुख विचकाना मत ।

          सर्दी अब ना सताये तुमको

          धूप सहज सहलाये तुमको

          हवा के प्यारे झूले से

          मस्ती में गिर जाना मत ।

तुम दिखना हर चेहरे पर

गाँव-शहर हर डेरे पर

लुटा देना जो पास है तेरे

तनिक भी बचाना मत ।

          तू कवियों का विषय रही

          खुशबू वाली मलय रही

          संभल के चलना हे ॠतुरानी

          विरहन को सताना मत ।

बसंत तुम इठलाना मत ।

गीत बेसुरे गाना मत ।

 

 

 

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