बढ़ती मंहगाई

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आसमान में पहुंच गयी,

       डीजल पेट्रोल रसोई गैस।

सब सुविधाओं को छोड़ छाड़,

       पालो प्यारे गाय और भैंस।

पालो प्यारे गाय और भैंस,

       लैस हो जाओ फिर हल से।

लैस हो जाओ फिर हल से,

      शुरू कीजिए चलना पैदल ।

कुंआ ताल सब साफ करो,

      टाटा कह दो मंहगा डीजल।

सुरसा के मुंह जैसी मंहगाई में,

      मध्यम वर्ग घूम रहा हो बेकल ।।

रोज मर रहा है मध्यम वर्ग,

       बढ़ती मंहगाई की मार से,

मजे ले रहे ऊपर नीचे वाले,

       अनुदान ले लेकर सरकार से।

अनुदान ले लेकर सरकार से,

       नहीं चिंता उनको कल की।

वोटों की इस राजनीति में,

       पता है पहले से उनको फल की।

'कर' से दोनों कर जोड़ कर,

       कहूँ सुनो देश की सरकार।

पानी नाक से ऊपर पहुंचा,

       मत डालो मध्यम पर भार।।

-हरी राम यादव ‘फैजाबादी’

 


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