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सृजन समूह शामली, उत्तर प्रदेश

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गुरुवार, 11 मार्च 2021

नए युग की दौड़



 देखो यह कैसा जमाना आ गया

हर तरफ नया तराना छा गया।

हर कोई आगे चलना चाहता है

सभी को छोड़कर सब से आगे निकलना चाहता है।

 चैन सुकून प्यार जैसे कि सब खो गया

 मानो सभी को इस दौड़ का नशा हो गया।

देखो यह कैसा जमाना आ गया......

आज मकानों में रहने वालों पर महलों का असर है

 पैर जमीन पर पड़े नहीं पर आसमान पर नजर है ।

हर कोई ऊंचाइयों का दीवाना हो गया

देखो यह कैसा जमाना आ गया........

आज का इंसान तो मानो खुदगर्जी का सागर हो गया

दूसरे से छीन कर लेने का आदि हो गया

सच को भूलकर झूठ का ही पुजारी हो गया

देखो यह कैसा जमाना आ गया....

हर तरफ नया तराना छा गया........

देखो यह कैसा जमाना आ गया.........

 

- सुनीता आर्य 

शामली, उत्तर प्रदेश  

 

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