लोरी की धड़कती सरगम में
मैं चैन की नींद में ,
सोया था मां,,,,,,,,।
आलिंगन तेरी सुकोमल,
बाहों का,
आंचल में बेखौफ,
मैं सोया था मां,,,,,,।
सतरंगी ख्वाबों की,
अनुरागी दुनिया,
तेरी ममता की छांव में,
मैं सोया था मां ,,,,,,।
तेरी निगाहों से,
चुराकर तेरी नींद,
मैं सोया था मां,,,,,,।
घर आंगन में,
इठलाती चांदनी जब,
लोरी के मखमली,
पाखों पर,
मैं सोया था मां,,,,,,,,।
मधु,,,, पुलकित नेह के,
बादलों में ,
त्याग नीर में भीग कर,
मैं सोया था मां,,,,,,,।
मधु वैष्णव ‘मान्या’
जोधपुर, राजस्थान