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सृजन समूह शामली, उत्तर प्रदेश

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शनिवार, 23 जनवरी 2021

बदलाव जरूरी है

 ये मानती हूँ मैं कि बदलाव जरूरी है,

ठहरा हुआ पानी सड़ जाता है लेकिन

क्या भावनाओं का बहाव भी जरूरी है?

इंसान अब इंसान को कुछ मानता नही

सीमित हुआ है खुद तक,मशीनी काम हो गया

जरूरत नही किसी की,तो क्या अलगाव भी जरूरी है?

लड़तें हैं धर्म के नाम पर,क्या हिन्दू क्या मुसलमान

ना ईश्वर का डर कहीं है, न अल्लाह का ख़ौफ़ है,

फिर क्यूँ मंदिर की आरती,मस्जिद की अजान जरूरी है?

बदलाव के इस दौर में,'मैं'(अहम)'हम'से बड़ा है,

हर रिश्ता अब मौन की परतों में दबा है,

जमती हुई इन परतों को प्रेम का अलाव जरूरी है।

     

             उमा शर्मा

शामली, उत्तर प्रदेश 

           

 

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