वीरासन विधि :
▶ समतल भूमि पर नर्म आसन बिछाकर वज्रासन की स्थिति में बैठ जाएं। अर्थात, घुटनों को मोड़कर बैठ जाएं।
▶ अब दोनों पैरों को थोड़ा फैलाएं और हिप्स को भूमि पर टिकाकर सीध में रखें।
▶ अब दोनों हाथों को आपस में मिलाकर जांघ पर रखें।
▶ कंधों को आराम की मुद्रा में रखें और तनकर बैठें। सिर को सीधा रखें और सामने की ओर देखें। इस मुद्रा में 30 सेकेंड से 1 मिनट तक बने रहें।
▶ श्वसन क्रिया सामान्य रहेगी नासिका से आती जाती हुई हुई स्वास के प्रवाह पर ध्यान को केंद्रित करें।
वीरासन के लाभ :
इस आसन के नियमित अभ्यास से अधिक नींद आने की समस्या पर नियंत्रण हो सकेगा।
यह आसन बच्चों के मन को एकाग्र करने में सहायक है और मानसिक रूप से सक्षम बनाने में सहायक है।
जंघा और पांव शक्तिशाली बनते हैं। शरीर का भारीपन दूर होता है।
श्वसन एवं ध्यान मुद्रा के संदर्भ में वीरासन काफी उपयोगी है।
वीरासन योग में जंघाओं, घुटनों, पैरों एवं कोहनियों का व्यायाम होता है।
इस मुद्रा से शरीर का पीछला भाग संतुलित रहता है।
शरीर को सुडौल बनाए रखने के लिए भी यह योग लाभप्रद है।
सावधानियां :
👉जब आपके घुटनों एवं टखनों में किसी प्रकार की परेशानी महसूस हो उस समय इस योग मुद्रा का अभ्यास नहीं करना चाहिए।
👉 घुटनों में बहुत अधिक दर्द होने पर इसका अभ्यास न करें।
👉 नये अभ्यासियों को वीरासन में बैठने पर कुछ देर बाद जांघों में दर्द का अनुभव हो सकता है ऐसी स्थिति में पैरों को सीधा कर लें उन्हें हिलाएं । जब पैरों का कड़ापन दूर हो जाए दूर हो जाये तो फिर वीरासन में बैठे।
👉 अभ्यास की अवधि धीरे धीरे बढ़ाएं बढ़ाएं धीरे बढ़ाएं बढ़ाएं
👉 यदि पैरों में कभी फ्रैक्चर हुआ हो तो इस आसन को करने में सावधानी बरतें।
👉 वीरासन अभ्यास के बाद पैरों को सामने फैला लें और उनको हिलाएं जिससे पैरों का कड़ापन दूर हो जाए एवं पैर पुनः सामान्य अवस्था में आ जाए।
पूर्व मा०वि० अजीजपुर ऊन, शामली