सम्पादकीय

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अपनी बात         

नया वर्ष आ गया है | इस नये वर्ष में पूरी दुनिया को वो सबसे बड़े सौगात मिली है जिसका सबको बड़ी बेसब्री से प्रतीक्षा थी | दुनिया के श्रेष्ठ विज्ञानियों ने दिन-रात अथक परिश्रम करके उस प्राणघातक विषाणु का तोड़ विकसित कर लिया जिसने लाखों जिन्दगियाँ छीन ली | यहाँ एक बात का उल्लेख करना आवश्यक है और वो यह कि विज्ञानी किसी एक नस्ल, समुदाय या देश के लिए नही अपितु पूरी मानव जाति के कल्याण के लिए परिश्रम करता है | भारत के प्राचीन योग और आयुर्विज्ञान के  ज्ञान आज समूचा विश्व प्रयोग कर रहा है और लाभान्वित हो रहा है | ऐसे ही अन्य देशों में हुए अनुसंधानों का लाभ भारतवर्ष को भी मिलता है |

        और हमारे देश ने तो कोरोना की औषधि तैयार होते ही दुनिया विभिन्न देशों को आपूर्ति करनी शुरू आकर दी | बहुत से देशों को तो बिना मूल्य लिए ही वैक्सीन भिजवाई गयी | वास्तव में यही मानवता है | मानवता की रक्षा के लिए है शोधकर्ताओं ने दिन रात परिश्रम किया | अब अगर कोई राजनैतिक दल इस वैक्सीन को किसी दूसरे राजनैतिक दल की वैक्सीन कह कर सम्बोधित करे तो निश्चय ही यह उन महान चिकित्सकों और विज्ञानियों के ज्ञान और परिश्रम का अपमान होगा | कोई भी राजनैतिक दल सत्तारूढ़ होता, हमारे वैज्ञानिक तो अपना काम करते ही | क्योंकि उनका लक्ष्य मानवता की रक्षा करना होता है किसी राजनीतिक दल विशेष से शाबाशी लेने का नहीं | आज जब हमारे वैज्ञानिक कोरोना जैसे सूक्ष्म और प्राणघातक शत्रु से दुनिया भर के लोगों को बचाने में सफल हुए हैं तो उनका सम्मान किया जाना चाहिए | उन पर टीका टिप्पणी करना सर्वथा अनुचित है | देश में विकसित पूरी तरह वैक्सीन पूरी तरह सुरक्षित और कारगर है और अगर कुछ समस्या आती भी है तो हैं ना हमारे साथ | वो फिर से परिश्रम करेंगें और और हमें पूर्णतया सुरक्षित करके ही दम लेंगें |


        नववर्ष आप सभी के लिए मंगलकारी हो ऐसी अभिलाषा है | गणतन्त्र दिवस की ढेर सारी शुभकामनाएँ |


जय कुमार


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