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सृजन समूह शामली, उत्तर प्रदेश

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शनिवार, 23 जनवरी 2021

आधुनिक भारतीय किसान

     सबके लिए अन्न उपजाता
     अपने पसीने से धरा सींचता
     सीना चीरकर धरती माँ का

     शस्य श्यामला इसे बनाता
त्याग और तपस्या का दूसरा नाम है किसान।सुबह से शाम तक खेतों में अपने पसीने की बूंदों से अन्न रुपी सोने का उत्पादन करता है।ज्येष्ठ की तपती दोपहर हो अथवा मूसलाधार बारिश, कंपकपाती ठंड में भी हमेशा खेतों में रहकर तपस्या को पूर्ण करता है।जय जवान जय किसान का नारा इसके महत्व को दृष्टिगोचर करके ही दिया गया था।
            ऐतिहासिक रूप से भारतीय सामाजिक व्यवस्था का ताना बाना गांव, कृषि, किसान से जुडा हुआ रहा है।प्राचीन भारतीय किसान पूर्ण रूप से आत्मनिर्भर थे। परंतु औपनिवेशिक काल में भारतीय किसानों कीआर्थिक स्थिति में लगातार गिरावट आती चली गयी। स्वतंत्रता के पश्चात भारत को जर्जर अर्थव्यवस्था प्राप्त हुई थी जिसमें कृषि क्षेत्र पर सर्वाधिक जनसंख्या अपनी आजीविका हेतु आश्रित थी।भारत को खाद्यान्न उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाने हेतु हरित क्रांति कार्यक्रम चलाया गया।यह कार्यक्रम सफल रहा और उत्पादन में अभूतपूर्व वृद्धि हुई।परन्तु इसका लाभ केवल पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के अमीर एवं मध्यम वर्गीय किसानों को ही प्राप्त हुआ।सीमांत एवं भूमिहीन किसान वंचित रह गए।वर्तमान समय में कृषि क्षेत्र का भारतीय सकल घरेलू उत्पाद में लगभग15प्रतिशत का योगदान है।इस क्षेत्र में जितना श्रम बल कार्यरत हैं उसके अनुपात में उसकी उत्पादकता अभी भी बहुत कम है।नीति आयोग की रिपोर्ट के अनुसार आधे किसान ऋणग्रस्त है। वर्तमान वैश्वीकरण के युग ने किसानों की समस्याओं को और बढा दिया है।जलवायु परिवर्तन की मार ने किसानों को आत्महत्या करने पर मजबूर कर दिया।किसानों के द्वारा अपनी फसलों को कम दाम पर बेचना दलालों के लिए फायदेमंद होता रहा है।ऐसा नहीं है कि प्रशासन इनकी समस्याओं से अनभिज्ञ है।कृषि क्षेत्र के विकास तथा इसके उत्पादन को बढाने हेतु लगातार प्रयासरत हैं। किसानों के बीच से दलालों को हटाकर उनकी फसलों का उचित दाम मिले। कृषिकार्यों के प्रति कृषक प्रोत्साहित हो, इस उद्देश्य से एम एस पी की घोषणा करना, कृषि आधारभूत ढांचे का निर्माण करना, कृषि मंडियों के सुधार हेतु एपीएमसी कानून संशोधन करना, इसके साथ ही e-NAM नामक एक राष्ट्रीय एकीकृत कृषि बाजार का विकास किया गया है, ताकि कीमत संबंधी एकरूपता सुनिश्चित हो एवं बिचौलियों के जाल से किसानों को बचाया जासके।
            परंतु अत्यंत दुखद विषय है कि आधुनिक किसान कुछ राजनीतिक पार्टियों के हाथों की कठपुतली बनकर अपने राष्ट्र की सम्पत्ति को ही नुकसान पहुंचा रहे हैं। सार्वजनिक संसाधनों को क्षति पहुँचाकर कौन से हितों की पूर्ति करना चाहते हैं यह समझ से परे हैं।धरना प्रदर्शन यदि शांतिपूर्ण तरीके से ही किया जाए। राष्ट्र की सम्पत्ति को अपनी सम्पत्ति मानकर इसका संरक्षण करें। विदेशी ताकतें जो भारतीय अर्थव्यवस्था को पीछे धकेलना चाहती है ।उनके किसानों के साथ इस आंदोलन में शामिल होना किसी घातक और गहन षड्यंत्र की ओर इशारा करता है।हमारे किसान भाइयों को चाहिए कि सरकार से बात करें, अपनी समस्याओं को रखें।
             हम सब भारतीय किसान भाईयों के साथ हैं। कहीं न कहीं किसान परिवारों से ही हम सब संबंधित है।परंतु उनसे विनम्र निवेदन करते हैं कि राजनीतिक पार्टियों, नेताओं अथवा विदेशी ताकतों के हाथों की कठपुतलियाँ न बनकर सहिष्णुता का परिचय देते हुए राष्ट्रहित एवं किसानहित में सार्थक वार्ता करके अपनी बात रखें।
        देश के कर्णधार हो तुम
        नींव भी आधार भी तुम
        राष्ट्रहित का सारभी तुम
        मस्तक पर है स्वेद कण  
        पर नहीं कभी क्लांत मन
        देश के कर्णधार हो तुम।।
अलका शर्मा(स०अ०)
क०उ०प्रा०वि०भूरा,
कैराना,. शामली
 
         
 
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