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सृजन समूह शामली, उत्तर प्रदेश

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शनिवार, 23 जनवरी 2021

आओ बातें करें हम

 सारे सुधि जन ,

बीते दिनों की

कहानी कहें हम ,

राजा और रानी की

सात भाइयों की,

खरगोश कछुए की

लंबी दौड़ की ,

चूहे और शेर के

छोटे-से वादे की,

प्यासे कौवे की

गजब चतुराई की,

मगर और बंदर के बीच

मीठे कलेजे की,

हुआं-हुआं करते

नीले सियार की,

सोने के अंडे की

बंदर के बंटवारे की,

और उसकी नकल की,

आओ बातें करें हम.. ।

पंच-परमेश्वर के

अलगु और जुम्मन की,

दादी के चिमटे की

हार या जीत की ,हींग वाले खान की,

या फिर गौदान की,

आओ बातें करें हम..।

चल रे मटके टम्मकटू

नानी तेरी मोरनी को,

या चंदा मामा दूर के,

मोटू और पतलू की

या कार्टून कोना डब्बू की,

चंद्रगुप्त चाणक्य की,

चंद्रकांता के तिलस्म की,

मालगुडी डेज और

मधुशाला बच्चन की,

पुष्प की अभिलाषा हो

या कदंब का पेड़ हो,

चंदन चाचा के बाड़े में

या खूब लड़ी मर्दानी हो,

आल्हा और ऊदल की

वीर राणा सांगा की,

घांस की रोटी हो

या ममता की कसौटी पर

कसी पन्ना धाय हो,

आओ बातें करें हम..।

गीता, महाभारत की

रामायण पुराणों की,

या बाईबल कुरान की,

हिमालय के शिखर की

जाड़े और धूप की,

वर्षा की फुहारों की

पेड़ों और फलों की,

मां और मिट्टी की

सोंधी-सोंधी महक की,

कल-कल बहती गंगा

और निर्झर झरनों की,

आओ बातें करें हम..।

लाल,बाल,पाल की

और सुभाष,आजाद की,

थोड़ी-सी भगत की

थोड़ी खुदीराम की,

लता की आवाज़ की

कल्पना उड़ान की,

ऊषा की छलांग की

सचिन के बल्ले की,

साक्षी के बाजू की,

ध्यानचंद की हॉकी और

आनंद के मोहरों की,

क्रिकेट और कबड्डी में

भारत की जीत की,

आओ बातें करें हम..।

अपने मन की

तुम्हारे मन की ,

‌श्रृद्धा के चरम की

और थोड़े धर्म की,

बेटियों के साथ की

मित्र-परिवार की ,

अहम छोड़े भाव की

योग-व्यायाम की ,

हास्य मुस्कान की ,

तिरंगे के जयघोष की

और हिन्दुस्तान की ,

आओ बातें करें हम..

आओ बातें करें हम ।

कार्तिकेय त्रिपाठी 'राम'


 

 

 

 

 

 

 

 

 

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