उम्र के पड़ाव को नित पार कर आगे बढ़ना!!
जीवन की आपधापी को पीछे छोड़कर
नित नवीन सपनों को अनायास ही गढ़ना,
सच्चाईयों को स्वीकार कर चलते रहना
स्वयं की चाही हुई मंजिल पर पहुँचना!
सच में कितना अच्छा है बड़े हो जाना!
उम्र के पड़ाव को नित पार कर आगे बढ़ना!!
दूसरों की उम्मीदों को पीछे छोड़कर
सच्चाईयों की कठिनाइयोँ को समझना,
नहीं फ़िरते रहना किसी के भी पीछे-पीछे
अपने वजूद को नित तराशते रहना!
सच में कितना अच्छा है बड़े हो जाना!
उम्र के पड़ाव को नित पार कर आगे बढ़ना!!
रंग-बिरंगी दुनिया के तिलिस्मोँ को समझना
भला क्या है और बुरा क्या, समझकर बढ़ना,
रास्तों पर संभल - संभल कर चलते रहना
संयम की ऊंचाईयों पर पहुंचने का प्रयत्न करना!
सच में कितना अच्छा है बड़े हो जाना!
उम्र के पड़ाव को नित पार कर आगे बढ़ना!!
जीवन को बारम्बार अवसर देते रहना
खुशियों की तलाश में न भटककर,
अपने दामन की खुशियों को संभालना
ईर्ष्या -द्वेष से प्रयत्न करके दूर रहना!
सच में कितना अच्छा है बड़े हो जाना!
उम्र के पड़ाव को नित पार कर आगे बढ़ना!!
सच्चाईयों की राह पर निरंतर चलना
उलझनों में स्वयं को न अधिक उलझाना,
बागडोर स्नेहिल संबंधों की स्वयं ही थामना
हर पल उत्सुक व सचेष्ट रहने की कोशिश करना!
सच में कितना अच्छा है बड़े हो जाना!
उम्र के पड़ाव को नित पार कर आगे बढ़ना!!
विगत की बातों में उलझकर दुःखी न होना
वर्तमान में जी भरकर निरंतर कार्य करते रहना,
आशान्वित रहना भविष्य के प्रति सदैव ही
सकारात्मकता के साथ सदा आगे बढ़ना!
सच में, कितना अच्छा है बड़े हो जाना!
उम्र के पड़ाव को नित पार कर आगे बढ़ना!!
न किसी को परायेपन का कभी बोध कराना
न किसी से आशाओं-आकांक्षाओं को पालना,
न किसी की आकांक्षाओं का बोझ ढोना
जीवन को सदा ईश्वर की नियामत समझना!
सच में, कितना अच्छा है बड़े हो जाना!
उम्र के पड़ाव को नित पार कर आगे बढ़ना!!
कभी न रूकना और कभी न थकना
सृजनात्मकता की राह पर सदैव चलना,
ईश्वर के प्रति सदैव शुक्रगुज़ार रहना
उस ब्रह्मनिष्ठ अनंत पथ का गामी बनना!!
सच में, कितना अच्छा है बड़े हो जाना!
उम्र के पड़ाव को नित पार कर आगे बढ़ना!!
संकुचित मानसिकता का त्याग करना
इंसानियत को सदैव जीवन में आगे रखना,
शांति और सौहार्द्र का माहौल बनाना
भय से रहित संसार की परिकल्पना करना!
सच में, कितना अच्छा है बड़े हो जाना!
उम्र के पड़ाव को नित पार कर आगे बढ़ना!!
डॉ० सुषमा तिवारी
पटना, बिहार