परिवार

सृजन
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 ब्रह्मांड रचेता ने सृजित किया, यह खूबसूरत संसार

जीवन के इस वन उपवन में , रचा अपना घर परिवार ।।

अनमोल मोतियों से भी बढकर, परिवार के रिश्तें नातें हैं

स्नेह, वात्सल्य से बँधे हुए सब, प्यार से इन्हें निभाते हैं।।

परिवार में बडे बुजुर्गों का, जिनके सिर पर हाथ होता ।

सेवा सुश्रुषा से बडों का हृदय, जिस परिवार में आनंदित होता।।

आशीष से उनके वह घर आँगन, सर्वदा सुरभित रहता है।

उन्नति के पथ पर अग्रसर होता, समाज में सम्मान पाता है।।

ईंटों पत्थरों से दुनिया में, सिर्फ मकान बनाए जाते हैं।

गंगा जहाँ प्यार की बहती, वे ही परिवार कहलाते हैं।।

माँ के हृदय में जहाँ सदा ही, वास अपनत्व का रहता हैं।

उच्च आदर्श और संस्कार की, बातें नित नित होती हैं।।

वीर शिवाजी और भगत सिंह जैसे बलिदानी, परिवार में पलते हैं।

परिवार की माटी में ही रंगकर, रण बाँकुरों की टोली चलती हैं।।

कठिन डगर पर पग धरें या निराशाओं के बवंडर में फँसे।

हर कदम पर साथी बनकर, परिवार हमेशा रहता हैं।।

परवाह की मजबूत दीवारें, आशीष, स्नेह के बुलंद इरादें।

ये सब जहाँ पर रहते हैं, उसी को परिवार हम कहते हैं

 


अलका शर्मा स०अ०

कन्या उच्च प्राथमिक विद्यालय भूरा

कैराना, शामली

 

 

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