उर्ध्व का अर्थ होता है ऊपर और तान का अर्थ तानना अर्थात शरीर को ऊपर की और तानना ही उर्ध्वोत्तानासन है। अनजाने में ही व्यक्ति कभी-कभी आलसवश दोनों हाथ ऊपर करके शरीर तान देता है।
उर्ध्वोत्तानासन की विधि :
सबसे पहले सावधान की मुद्रा में खड़े हो जाएं। रीढ़ व गर्दन एक सीध में रखें। इस दौरान श्वास-प्रश्वास की गति सामान्य बनाए रखें।
इसके बाद श्वास भरते हुए कंधों को पीछे कर हाथों को बगल से धीरे-धीरे ऊपर उठाएं। कंधे की सीध में आने पर हथेली की दिशा आसमान की ओर करते हुए हाथों को कान से लगा दें।
अब पंजे के बल रहते हुए एड़ी उठाएं, फिर श्वास भरते हुए पंजों पर दबाव, पिण्डलियों में कसावट, जंघा की मांसपेशियों को ऊपर की ओर खींचें। नितंब को कसावट देते हुए नाभि अंदर, सीना बाहर पूरी श्वास भर लें। इस दौरान श्वास-प्रश्वास सामान्य बनाए रखें।
जंघा की मांसपेशियों को ऊपर उठाते समय घुटना भी ऊपर आएगा। ध्यान रखें इसे उठाएं पर पीछे की ओर न दबाएं। अंत में वापस आने के लिए धीरे-धीरे विपरीत क्रम में वापस उसी स्थिति से आएं, जहां से आसन प्रारंभ किया था। यह आसन को और भी कई तरीकों से किया जाता है।
उर्ध्वोत्तानासन के लाभ :
इस आसन के नियमित अभ्यास से मोटापा और शरीर की अतिरिक्त चर्बी दूर होती है।
इससे डायबिटीज के मरीजों को लाभ मिलता है।रीढ़ लचीली बनने से शरीर को लाभ मिलता है।
पाचन संबंधी रोग दूर होने से शरीर स्फूर्त व मन प्रफुल्लित रहता है।
इस आसन का अभ्यास करने से बच्चें ऊर्जावान महसूस करते हैं।
इस आसन का नियमित अभ्यास करने से शरीर संतुलित ओर मस्तिष्क तनाव मुक्त होता है।
यह बच्चों की हाइट बढ़ाने में सहायक है इसके रेगुलर अभ्यास से बच्चों की हाइट बढ़ती है।
इस आसन का नियमित अभ्यास करने से त्वचा संबंधी प्रोब्लेम्स से बचा जा सकता हैं। और त्वचा पर बार-बार दाने एवं मुंहासे निकलने की समस्या दूर हो जाती है और चेहरे को चमकदार बनाता है।
सावधानी :
माइग्रेन में इस आसन का अभ्यास न करें
घुटनों के दर्द होने पर इस आसन का अभ्यास नहीं करना चाहिए
तेज पीठदर्द एवं संतुलन संबंधी समस्यायओं से ग्रस्त व्यक्तियों को यह आसन नहीं करना चाहिए।
चक्कर आने पर इस आसन का अभ्यास न करें
पुष्पेन्द्र कुमार गोस्वामी (स0 अ 0)
उच्च प्राथमिक विद्यालय अजीजपुर
ब्लॉक ऊन
जिला शामली