मैं कोहरा हूँ
सर्दी का मोहरा हूँ
प्रभावहीन सूरज
निरीह जान पड़ता
धीरे-धीरे वो भी
अपने कदम बढ़ता
संभल के चलना मुझमें
अगर विवेक है तुझमें
मैं कोहरा हूँ
सर्दी का मोहरा हूँ
पेड़ों से टपकता है
बिन बरसात पानी
यद्यपि सुबह विरानी
फिर भी लगे सुहानी
वाहन धीरे से चलाना
लाइट अवश्य जलाना
टकरा के यूँ ही
जिंदगी ना गंवाना
ये नसीहत है मेरी
आगे मर्जी तेरी
मैं कोहरा हूँ
सर्दी का मोहरा हूँ