धनानाम् निधानम् धरायाम् प्रधानम्
इदम् भारतं देवलोकेन तुल्यम् ।
यशो यस्य शुभ्रं विदेशेषु गीतम्
प्रियं भारतं तत् सदा पूजनीयम् ।।
उपरोक्त पंक्तियाँ भारत के गौरवशाली इतिहास को इंगित करती भारत वर्ष का महिमामंडन करती है।हमारा भारत का बृहद इतिहास अपने आप में गौरवशाली अतीत को समेटे हुए हैं।वह महान गणितज्ञ हो, वैज्ञानिक, शल्य चिकित्सा, नक्षत्रों की गणना करते हमारे प्राचीन विद्वान, हमें स्वयं पर गर्व करने का अवसर प्रदान करते हैंकि हम उस राष्ट्र की संतान है जो वीरों की भूमि के साथ ही प्रत्येक क्षेत्र में विश्व गुरु की छवि रखने वाला राष्ट्र है। न्यूटन से550वर्ष पूर्व हमारे ऋषिवर भास्कराचार्य जी ने अपनी पुत्री को सिखाया था कि " पृथ्वी में एक आकर्षण शक्ति है जो भारी वस्तुओं को अपनी ओर खींचती है।" जर्मन भौतिकी नोबेल पुरस्कार विजेता डब्ल्यू हिसेन्बर्ग कहते थे कि"हिन्दी दर्शन में कई बातें आश्चर्यजनक रूप से क्वांटम फिजिक्स के सिद्धांतों को सिद्ध करती है।" विश्व के प्रथम क्रम के धनपति बिलगेट्स कहते है कि" यदि भारत के युवा मेरा साथ छोड़ दें तो मेरी सत्ता धराशायी हो जाए।"
भारत वेद, उपनिषद, पुराण,रामायण, श्रीमद्भागवत गीता जैसे लौकिक और परलौकिक साहित्य से समृद्ध, सनातन धर्म, बोद्ध एवं जैनधर्म के जीवन मूल्यों को अभिवर्धित करता आध्यात्मिक एवं
गौरवशाली परंपरा एवं विरासत है। आज जब सम्पूर्ण विश्व अपरोक्ष युद्ध में संलिप्त है तो शांति का संदेश प्रदान करता
भारत आज भी अपनी बहुमूल्य प्राचीन नीतियों को संजोकर आगे बढ़ रहा है।क्योंकि हम अच्छी प्रकार से जानते है कि अतीत से कटा हुआ व्यक्ति त्रिशंकु की तरह हो जाता है।मध्ययुगीन भारत में हमारी संस्कृति और स्वर्णिम इतिहास को मिटाने की कुत्सित मानसिकता ने हमें उन्नति के पथ से उतारकर दूसरी राह पर चलने पर विवश किया गया।
विदेशी हमलावरों ने भारत के स्वर्णिम दस्तावेजों को ही समाप्त कर दिया जिनके कारणभारत एक वैश्विक महाशक्ति के रूप में जाना जाता था। हमारे आस्था केन्द्रों पर हमला कर जहाँ हमें क्षतिग्रस्त किया गया वहीं अंग्रेजों की गुलामी ने गुलाम मानसिकता के साथ जीने का रास्ता तैयार किया।परंतु कुछ बात है कि हस्ती मिटती नहीं हमारी, सदियों रहा है दुश्मन दौरे जहाँ हमारा। दोगुनी शक्ति के साथ उठे और विकास की दौड़ में दौड़ चले।आज फिर भारत का लोहा सम्पूर्ण संसार मानने लगा है। दुनिया का सबसे शक्तिशाली देश अमेरिका भी मानता है कि अमेरिका की विकास यात्रा में भारतीय बुद्धि , प्रतिभाका बहुत बडा योगदान है। अमेरिका में कोई भी क्षेत्र हो सबमेंं भारतवंशियों का दबदबा है।विश्व के अनेक देश भारतीय प्रतिभा के कायल है।
पिछले कुछ वर्षों में भारत एक शक्तिशाली देश के रूप में उभरा है। आर्थिक, सामरिक, कूटनीतिक और तकनीकी क्षेत्र में सभी देश भारतीय अर्थव्यवस्था को ध्यान में रखकर अपनी दिशा तय कर रहे हैं। यहां तक कहा जा रहा है कि यदि भारतीय अर्थव्यवस्था में गति आएगी तो वैश्विक अर्थव्यवस्था में भी गति आएगी। पिछले कुछ वर्षों में भारत एक उभरती हुई शक्ति के तौर पर वैश्विक संगठनों, मुद्दों पर केवल प्रतिभाग ही नहीं किया।,अपितु एक मंच प्रदाता बनकर उभरा है।जलवायु परिवर्तन, आतंकवाद, वैश्विक चुनौतियाँ, हिंद प्रशांत में चीन की बढती भूमिका, अफगानिस्तान की समस्या पर भारत की भूमिका बढती जा रही है। चीन का दूसरा ध्रुव बनकर उभरना वैश्विक राजनीति का क्षेत्र जहाँ हिंद प्रशांत बन रहा है, वहीं भारत इस परिदृश्य में रूस और जापान के साथ मिलकरबैलेंसिंग पावर की भूमिका भी निभा रहा है।कोविड19 के साथ ही विश्व में बहुत कुछ परिवर्तन हुए हैं। जहाँ विकसित देश इस बीमारी से अपने आप को, अपनी अर्थव्यवस्था को बचाने में नाकाम रहे।वही विकासशील और विश्व की दूसरी सबसे बड़ी आबादी वाले भारत ने दृढ़ इच्छाशक्ति का परिचय प्रदान किया। इस महामारी ने चीन पर बढती आत्मनिर्भरता पर विचार करने का समय दिया। भारतीय प्राकृतिक चिकित्सा पद्धति पर विश्वास न करनेवाले सम्पूर्ण विश्व ने भारतीय योग पद्धति और काढों में विश्वास जताया। मेडिकल डिप्लोमेसी के जरिए सार्क देशों को एक मंच पर लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। महामारी के समय अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति के साथ ही अनेक देशों को हाइड्रोक्सीक्लोरोक्विन टैबलेट्स की आपूर्ति की।तमाम बदलते समीकरणों के साथ वंदे भारत मिशन के अन्तर्गत विदेशों में फँसे भारतीयों को वापस लाया गया। अपनी सामर्थ्य को एक नया मुकाम प्रदान करता भारत
आज अपनी नीतियों के लिए प्रतिष्ठा प्राप्त कर रहा है। परस्पर दलगत, जातिगत, धर्मगत राजनीति से ऊपर उठकर यदि केवल देशहित के विषय में सोचा जाये तो कोई भी ताकत हमें फिर से विश्व गुरु बनने से नहीं रोक पाएगी। वैश्विक संवाहक बनकर भारत की ध्वज पताका क्षितिज तक लहरायेगी। अपनी सीमाओं को सुरक्षित करने के साथ ही भारत ने चीन जैसे शक्तिशाली देश को भी पीछे हटने पर विवश कर दिखा दिया कि आज का भारत हर क्षेत्र में हर चुनौती को टक्कर देने के लिए तैयार है। बस अंत में यही कहना चाहती हूँ ।
"भारत के लाल है हम,खेलेंगे जान से ।
हाथों में लेके तिरंगा ,निकलेंगे शान से।।
अलका शर्मा स०अ०
कन्या उच्च प्राथमिक विद्यालय भूरा, कैराना,. शामली