कोरोना संक्रमण के चलते स्कूल बंद है ऐसे में इस बार बच्चों तक शिक्षा पहुंचाने के लिए स्कूलों में डिजिटल मीडिया का सहारा लिया है। इसमें ऑनलाइन कक्षाएं व्हाट्सएप ग्रुप बनाकर चलाई जा रही हैं लेकिन क्या ऑनलाइन पढ़ाई से हम सभी संतुष्ट हैं मेरे अनुसार सभी का जवाब नहीं होगा। स्कूल इतनी सुविधा संपन्न नहीं है कि घर बैठे बच्चों को ऑनलाइन पढ़ाई करा पाए । शिक्षक अपने मोबाइल का प्रयोग करके यह कार्य करते हैं ,पर दूसरे बच्चों के पास भी तो मोबाइल और लैपटॉप की व्यवस्था जरूरी है जबकि भारत में केवल 20 फ़ीसदी घर तक ही इंटरनेट की सुविधा उपलब्ध है ।
ऐसे में ऑनलाइन शिक्षा की सार्थकता पर सवाल उठना स्वाभाविक है खुले मैदानों में पढ़ने वाले बच्चे स्क्रीन से आती आवाज पर उतना ध्यान केंद्रित नहीं कर पाते जितना सामने खड़े मास्टर साहब की कहीं बात पर।। दूरस्थ इलाकों में आज भी इंटरनेट की सुविधा बेहतर नहीं है। ऑनलाइन कक्षाओं के लिए अच्छा एंड्रॉयड फोन, कंप्यूटर ,टैबलेट की जरूरत होती है ।ज्यादातर घरों की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं होती जो कि वह उपकरण खरीद पाए, जो बच्चे ऑनलाइन पढ़ाई कर रहे हैं उनकी सेहत भी खराब हो रही है आंखों एवं गर्दन में दर्द से संबंधित दिक्कत आ सकती है ।बचपन तो सबका कोमल और मासूम होता है, अमीर हो या गरीब लेकिन मुश्किलें सभी की बढ़ी है । सवाल यह है क्या होगा उन गरीब बच्चों का कैसे करेंगे वो बच्चे पढ़ाई।।
-सुनीता आर्य