तुम जितनी सरल,
बनो उतनी पेचीदा ।
दुनियाँ में नही कोई सीधा,
विश्वास कर न हरो सीता।
दिखला दो दुनियाँ को राधा,
संघर्षों से लड़ना हमें भी आता।
क़ानून, पुलिस,और सत्ता,,
सब झूठे ,देते सबको गच्चा।
इंसान को इंसानियत का ,
चोंगा पहनना होगा ।
नारीत्व के सम्मान में,
अग्रज बनना होगा।
है गंधारी !
आंखों से पट्टी उतार फेंको,
बेटों के कुकर्मों को,
अनदेखा कर मत सेको।
बेटों को सही राह दिखाओ,
बन मां सच्ची,
अपना फर्ज निभाओ।
हे धृतराष्ट्र!
बेटों के मोह को त्यागो,
बन सच्चे पिता ,
दुर्योधन व दुशासन को डांटो।
कैसे पाओगे सुन
बेटी की ह्रदय विदारक चींखें,
आओ सच्चे माता पिता बन,
सन्तानों को सच्चे संस्कार दो ।
स्त्रीत्व को उसके सम्मान का,
अब तो अधिकार दो।
- अंजनी अग्रवाल 'ओजस्वी '