उदगीथ-प्राणायाम'('ओ३म्' ध्वनि) के बारे में-
विधि:-
किसी भी ध्यानात्मक आसान में बैठकर श्वास को अंदर भरें। मुख को गोल बनाते हुए 'ओ' व 'म्' को क्रमशः2:1 में उच्चारित करें।'म्' के उच्चारण में होंठ बंद हो जाते हैं। ध्वनि मधुर,श्रद्धायुक्त व लयबद्ध हो।ध्वनि समाप्ति पर शेष श्वांस भी बाहर निकाल दें। ध्वनि पर ध्यान लगाएं। तीन आवर्तियाँ अवश्य करें।
लाभ:-
मन शांत होता है।एकाग्रता आती है। ओ३म् की अंतिम'म्' ध्वनि से मस्तिष्क की सुप्त शक्तियां जाग्रत होती हैं। तनावग्रस्त, निराश,अनिद्रा से पीड़ित व्यकि को शांति व आत्मबल मिलता है।उसे 7,11,21 आवर्तियाँ करनी चाहिए। मानसिक रोगों में लाभप्रद है।
पुष्पेन्द्र कुमार सैनी (प्र०अ०)
प्रा०वि० मानकपुर
थानाभवन (शामली)