कहते हैं सब,लड़की हूँ मैं
निर्भर हूँ सबपर,अबला समान,
आदर्श नारी बन,पाना सम्मान,
सपनों के पंखों की ,रोक उड़ान।
अबला नही,सबला हूँ मैं,
दुर्गास्वरूप और शक्ति समान,
नारी-शक्ति पर होगा ,सबको अभिमान,
ऊँची होगी जब ,मेरी उड़ान।
सपनों में जान ,डालूँगी मैं,
लक्ष्य को पाना ,होगा आसान,
मुट्ठी में होगा ,ये आसमान,
ऊंची होगी जब,मेरी उड़ान।
सीमा की आन ,रखूँगी मैं
प्रहरी बनकर,पर्वत समान,
मुश्किल में होगी दुश्मन की जान,
ऊँची होगी जब, मेरी उड़ान
डॉक्टर,इंजीनियर,सैनिक बनूँगी मैं,
सेवा करूँगी सबकी,लड़कों समान,
मुझसे बढ़ेगा मेरे, देश का मान,
ऊंची होगी जब मेरी उड़ान।
- उमा शर्मा