शिक्षक

सृजन
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   अज्ञानता का तिमिर मिटाकर

   ज्ञान ज्योति पुंज सदा दिखलाएँ,

   कुपथ गामिनी बनने से रोककर

   सत्पथ पर चलना सिखलाए |

           कच्चे घडे से कोमल मन पर

           थाप दे देकर आकार बनाएँ,

           अनुशासन की छ्डी उठाकर

           जीवन ही कंचन बन जाएँ |

   हृदय में उत्सुक्ता की लहरें

   गागर बनकर प्यास बुझाएँ,

   हर प्रश्न का उत्तर खोजकर

   विद्यार्थी को ज्ञान पिपासु बनाएँ |

           दिए की बाती सा जीवन

          स्वयं जले पर प्रकाश फैलाएं ,

           बीज बो दे नैतिकता के

          बच्चों का उपवन खिल जाएँ |

 स्वयं आदर्श बनकर गर जीता

बच्चों पर अमिट छाप छोड़ जाएँ ,

 उनका अनुसरण करे जीवन भर

 ज्ञान की ऐसी अलख जगाए |

           कितना उच्च पद हमने पाया

           ईश्वर ने भाग्य विधाता बनाया ,

           राष्टानिर्माता का फर्ज निभाकर

           नींव में उच्च संस्कार बो जाएँ |

   अपने कर्म से प्यार अगर है

   जगत में उच्च आदर्श हो जाए ,

   विश्व गुरु भारत की संस्कृति  

  फिर से गगन तक फहराएं |

                                                                - अलका शर्मा

 

 

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