वर्तमान परिदृश्य में मानव जीवन का शायद ही कोई पक्ष या क्षेत्र हो जो तकनीकी के हस्तक्षेप से वंचित हो यदि हम अपने जीवन में काम आने वाली तकनीकों से अनभिज्ञ रहेंगे तो हम प्रगति के मापदंडों में पिछड़ जाएंगे | पिछले कुछ दशकों में हुए तकनीकी विकास ने हमारे जीवन को पूरी तरह से बदल दिया है शिक्षा का क्षेत्र भी इसके प्रभाव से मुक्त नहीं रह पाया है | सूचना और संचार प्रौद्योगिकी जिसे आमतौर पर आईसीटी कहां जाता है इसके अंतर्गत वे सभी साधन शामिल होते हैं जिनका प्रयोग कंप्यूटर एवं नेटवर्क हार्डवेयर अथवा आवश्यक सॉफ्टवेयर सहित सूचना एवं संचार का संचालन करने के लिए होता है | जहां तक शिक्षा क्षेत्र की बात है शिक्षा के प्रत्येक स्तर को तकनीकी विकास ने प्रभावित किया है |
शिक्षा के उद्देश्य शिक्षण विधियां प्रविधियां शिक्षण अधिगम प्रक्रिया मूल्यांकन प्रक्रिया शोध प्रक्रिया आदि सभी क्षेत्रों एवं प्राथमिक शिक्षा से लेकर उच्च शिक्षा के अनुसंधान स्तर तक कोई भी ऐसा क्षेत्र नहीं है जहां तकनीकी ज्ञान का होना आवश्यक ने हो | स्कूलों में सूचना और संचार प्रौद्योगिकी योजना दिसंबर 2004 में माध्यमिक स्तर के छात्रों को अपनी आईसीटी कौशल क्षमता बढ़ाने और कंप्यूटर सहायक शिक्षण प्रक्रिया के माध्यम से सीखने के अवसर प्रदान करने हेतु किया गया था | यह योजना छात्रों के विभिन्न सामाजिक आर्थिक डिजिटल डिवाइडर और अन्य भौगोलिक अवरोधों को पार करने का सेतु है | रेडियो टीवी वीडियो डीवीडी टेलीफोन सैटेलाइट प्रणाली कंप्यूटर नेटवर्क हार्डवेयर आदि आईसीटी के दायरे में आते हैं | बालिका शिक्षा को बढ़ावा देने और उसे सही ढंग से क्रियान्वित करने के लिए रेडियो के माध्यम से मीना मंच के अंतर्गत प्रोग्राम चलाए जाते हैं जो ग्रामीण परिवेश में पढ़ने वाली बालिकाओं की शिक्षा को बढ़ावा देने में मील का पत्थर साबित हो रहे हैं | आधुनिक समय में ऑनलाइन क्लासेस लेक्चर और ना जाने अन्य ऐसे कितने कोर्सेज हैं जिन्होंने कोविड-19 महामारी के कारण हुए लॉकडाउन में भी बच्चों की पढ़ाई को बाधित होने से बचाया है |
विद्यालय में कंप्यूटर लैपटॉप तकनीकों का प्रयोग करके बालक को का चहुमुखी विकास कर रहे हैं ऑडियो विजुअल प्रभाव से सीखने और सिखाने के तरीकों को प्रभावी बनाया जाता है टीचर लेसन को पावर पॉइंट में बना सकते हैं और कक्षा में कंप्यूटर और प्रोजेक्टर के माध्यम से उसको दिखा सकते हैं इससे शिक्षक और शिष्य दोनों को आसानी होती है जहां एक और इन सभी तकनीकि यो के इतने लाभ हैं वहीं दूसरी ओर बच्चों पर इसका प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है प्राथमिक स्तर पर बच्चे का मानसिक विकास अपरिपक्व रहता है छोटे बच्चों को खेलने अथवा पढ़ने के लिए स्मार्टफोन कंप्यूटर आदि मुहैया कराना उनके स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव डाल रहा है छोटे बच्चों के साथ
अभिभावकों को समय व्यतीत करना चाहिए इसी से उनका उचित मानसिक विकास हो पाएगा टीवी मोबाइल और कंप्यूटर जैसे उपकरणों से जब बच्चा हीरा रहता है तो वह अपने मित्रों एवं परिवार जनों से अलग-थलग रहने लगता है जिससे अलगाव की स्थिति उत्पन्न हो जाती है अक्सर ऐसा देखा गया है कि जो बच्चे तकनीकी संसाधनों के संपर्क में रहते हैं उनका ध्यान कक्षा में होने वाले कार्यों पर नहीं रहता जिससे ध्यान अवरोधन की समस्या भी उत्पन्न होती है ऐसे बालक बालिकाएं जो तकनीकी संसाधनों का अधिक प्रयोग करते हैं उनमें कम आयु में ही कई मानसिक तथा नेत्र संबंधी समस्याओं के लक्षण दिखाई देने लगते हैं तकनीकी संसाधनों का सीमित प्रयोग हमारे नन्हे मुन्ने बच्चों के जीवन को प्रगतिशील और बेहतर बना सकता है बच्चों के साथ समय व्यतीत करना उन्हें ध्यान से सुनना नई-नई गतिविधियों में बढ़-चढ़कर उनका साथ देना उन्हें परिवार और समाज से जोड़ता है साथ ही तकनीकी संसाधनों को सीमित परिधि के अंतर्गत उनके ज्ञान के साथ जोड़ते हुए उन्हें स्वर्णिम भविष्य की ओर ले जाया जा सकता है
संजू तोमर
सहायक अध्यापिका
प्राथमिक विद्यालय सोंटा-1
शामली