क्रोधी स्वभाव वाले नायक की फिल्में
परंतु क्रोध के जो प्रतिफल शरीर में आते हैं, उनका ज्ञान नहीं था। न ही हमारी शिक्षा में जीवन की सच्चाइयों को सिखाने की व्यवस्था है। उम्र बढ़ तजुर्बा हुआ ।अब हम जान गए कि क्रोध अपने को ही खा जाता है। शरीर में बीमारियाँ घुस जाती हैं।
पर अब क्या? अब तो बहुत देर हो चुकी। जब तक हम जीवन जीने की कुशलता प्राप्त करते हैं तब तक जीवन ही पूरा हो चुका होने को होता है ।अब हम अपने ज्ञान,तजुर्बे को अपने बच्चों व अनुज को सिखा देना चाहते हैं। परंतु वे सीखने को तैयार नहीं।वर्तमान युग वैज्ञानिक युग जो ठहरा,जब तक खुद पर न गुजरे तब तक किसी चीज को मानने को तैयार नहीं। यहाँ काम आती थी गुरु-शिष्य परम्परा। प्राचीन समय में गुरु ने जो सिखाया वह शिष्य ने %100 आत्मसात कर लिया। अब गुरु का तजुर्बा से आगे शिष्य की खोज चलती थी और होता था एक शक्तिशाली व्यक्तित्व का निर्माण जैसे स्वमी विवेकानंद , दयानंद सरस्वती आदि।
काम, क्रोध, मोह, लोभ, भय, अहंकार,ई र्ष्या और द्वेष ये मन के भाव (Emotion) हैं। जो हम सबमे विद्यमान हैं। प्रत्येक मनुष्य में इनमें से एक या दो भाव उसके वातावरण, परवरिस या कोई आघात या अन्य कारण से अधिक प्रभावशाली हो जाते हैं । इसी से उस व्यक्ति का व्यक्तित्व निर्माण होता है। उसकी सोच,बीमारियां व्यवहार सब उसी पर निर्भर करता है। जैसा भाव(Emotion) वैसी भावना(feeling), जैसी भावना वैसी सोच(thoughts),जैसी सोच वैसा कार्य(action),और जैसा कार्य होगा उसका वैसा प्रतिफल (Reaction) बुद्धि व शरीर पर आएगा ही आएगा ।
हमारे शास्त्रों में भी कहा गया है--
कर्म प्रधान विश्व रचि राखा ।
जो जस करहि सो तस फल चाखा ।।
यदि हम क्रोधी स्वभाव के हैं तो भविष्य में हम high BP, Heart disease नस-नाड़ी के रोगों के शिकार होंगे। यदि हमारा स्वभाव डर व चिंता का है तो भविष्य में BP low, अपच,गैस,एंजाइटी, stress व मानसिक रोग आदि होंगे । तो क्या हम गुस्सा बिल्कुल न करें? गुस्सा,डर, चिंता सभी जरूरी हैं परंतु सही समय पर व सही मात्रा में । जैसे शरीर मे कोलेस्ट्रॉल,सुगर जरूरी है पर सही मात्रा में। शुगर कम या ज्यादा है तो व्यक्ति बीमार है, सही मात्रा में है तो व्यक्ति स्वस्थ्य है। संतुलन ही स्वास्थ्य है, असंतुलन रोग है। आहार,विचार,व्यवहार का संतुलन जीवन मे आवश्यक
है। आज अच्छे खाते-पीते घरों में असंतुलित भावों के कारण कलह,परिवार विघटन, शारीरिक व मानसिक बीमारियां हो रही हैं। भाव के संतुलन के लिए आवश्यक है योग,प्राणायाम,ध्यान । योग व ध्यान से मन पर नियंत्रण आता है इससे भावों को
संतुलित किया जा सकता है ।
-पुष्पेन्द्र कुमार सैनी (प्र०अ०)
प्रा० वि० मानकपुर
थानाभवन (शामली)