प्राथमिक शिक्षा में सूचना संचार प्रौद्योगिकी

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जब भी हम प्राथमिक विद्यालयों में सूचना संचार प्रौद्योगिकी का जिक्र करते हैं तो यकीन मानिए सरकारी विद्यालयों की स्थिति को देखकर एक यक्ष प्रश्न स्वयं ही उठ जाता है कि बच्चा हमारा कैसे प्रौद्योगिकी का उपयोग करेगा? क्या वह इससे अपना पाएगा? क्या वह आर्थिक रूप से इतना मजबूत और सक्षम है कि सुविधा के अनुसार तकनीकीयों को  खरीद सकेगा? आजकल सबसे सुविधाजनक साधन जो मौजूद है वह है मोबाइल, टीवी नाकि कंप्यूटर और लैपटॉप, प्रोजेक्टर इन सब के बारे में तो हमारे ग्रामीण परिवेश के वह आर्थिक रूप से कमजोर बच्चे सोच भी नहीं पाएंगे क्योंकि हमारे बच्चे वो बच्चे हैं जो अपनी सामान्य सी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए ही संघर्ष करते है, अगर एक बार हम यह मान भी लें तो क्या हम उन बच्चों के पास इतना समय दे सकेंगे जो गांव में मजदूरी करते हैं खेतों में खेती घरेलू कार्यो में लगे रहते हैं और फिर उनको घर पर समझाने और बताने वाला भी कोई उपलब्ध नहीं होता ऐसे बहुत से प्रश्न है जो हमारे और आपके मन में उठ रहे होंगे और इन्हीं प्रश्नों के साथ आज हम अपना विषय जो कि बड़ा ही प्रासंगिक है "प्राथमिक शिक्षा में सूचना संचार प्रौद्योगिकी" का प्रारंभ करते हैं |

  हमारे बच्चे वह छोटे बच्चे है जो हर समय खेल और आसपास की वस्तुओं और परिवेशो को देखकर सीखा करते हैं उन्ही में उदाहरण को खोजा करते है उनको हमारे बीच ले आते हैं बच्चे हमारे आसपास की वस्तुओं को देखकर सीखते हैं और परिवेश के साधनों के प्रयोग को तवज्जो देते हैं हमें बच्चों तक डिजिटल माध्यम से सूचना

प्रौद्योगिकी के साधनों के द्वारा शिक्षा की गुणवत्तापूर्ण सुनिश्चित कराना और उन्हें जोड़ना जो कि हमारे वर्तमान परिदृश्य कोविड-19 के समय में बहुत ही आवश्यक हो गया है ऐसे में हम शिक्षकों की भूमिका बहुत ही बढ़ जाती है

और निसंदेह हमारा आने वाला समय डिजिटल युग का समय है और हम जानते है की हमारे देश की नीति में शिक्षा में निवेशो की और हमेशा से अग्रणी रहा है जैसे मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा, सर्व शिक्षा अभियान, राष्ट्रीय साक्षरता अभियान जैसे ना जाने कितने ही कार्यक्रम जो नित नित हमारे शिक्षा प्रणाली में सुधार हेतु हमारे सरकार और विभाग के द्वारा समय-समय पर लाए और चलाए जाते हैं और यह प्रयास सफल भी हो रहे हैं।

    मात्र बच्चों तक वीडियो को पहुंचा देना ही प्रौद्योगिकी नहीं वरन बच्चों को स्वयं करके सीखने जैसा कोई विकल्प प्रस्तुत कराया जाए जिससे हमारे बच्चे अपने पसंद के विषय को चुन सके और उससे जुड़े हुए प्रश्न को भी दर्ज करा सके बच्चे अपने विषय के अनुसार अपना पसंदीदा टॉपिक चुने और उसे पढ़ें "सूचना संचार प्रौद्योगिकी"की सहायता से अब छात्रो को ई पुस्तक परीक्षा प्रश्नपत्र विशेषज्ञों की शोध और देश-विदेश के शोधकर्ताओं की तुलना करना आसान हो जाएगा रेडियो और टेलीविजन पर शैक्षिक कार्यक्रमों का प्रसारण जिसमें कि आओ अंग्रेजी सीखें मीना की दुनिया और ऐसी बहुत से कार्यक्रम हमारे बच्चों तक आसानी से पहुंच जाते है जिसमे उनकी लागत ना के बराबर होती है और बच्चे तकनीकों से रूबरू होंगे। ऐसी तकनीकों से बच्चे ध्वनि और रंगों के साथ सीखते हैं जो कि बच्चों की गहराई तक पहुंचने में सफल होता है और उनका अधिगम स्तर भी सुधरता है।
 इसे हम यूं कह सकते हैं कि जैसे सूचना और संचार प्रौद्योगिकी को अगर हम अपने प्राथमिक स्तर पर देखें तो पाएंगे कि यह एक विकल्प के रूप में तो सबसे ज्यादा हमारे लिए सुविधाजनक और अच्छा साबित हो सकता है पर पूरी तरीके से प्राथमिक विद्यालयों में इसे बच्चों को ले जाना शायद उचित ना हो मात्र फोटो खिंचवा लेने से ही बच्चे डिजिटल और संचार प्रौद्योगिकी नहीं सीख लेते हैं इस बात को भी हम शिक्षकों को समझना होगा।
हम उम्मीद करते है की जितना हो सके बच्चे रेडिओ और दूरदर्शन के कार्यक्रमों के माध्यम से सीखे उतना ही उचित होगा और मोबाइल का कम से कम इस्तेमाल करना जिससे की  प्राथमिक स्तर पर बच्चों और उनके अभिभावको के लिए चिंता का सबब ना बने इसका ख्याल रखना पड़ेगा।

 

-अंकिता मिश्रा

 

 

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