गणपति विसर्जन

सृजन
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  प्यारे दादू , प्यारे दादू , जरा मुझको ये समझाओ।
  क्यों करते है , गणपति पूजा मुझको ये बतलाओ।
  क्यों विसर्जन करते गणपति,मुझको ये बतलाओ।
  ये क्या रहस्य है दादू , जरा मुझको ये समझाओ।

          पास मेरे तुम आओ बाबू , तुमको मैं समझाता हूँ।
          क्या होता गणपति विसर्जन तुमको ये बतलाता हूँ।
          देखो बाबू , गणेश विसर्जन हमको ये समझाता है।
          मिट्टी से जन्मे है हम सब,फिर मिट्टी में मिल जाते है।

  मिट्टी से गणपति मूर्ति बनाकर,उनको पूजा जाता है।
  प्रकृति से बनी मूरत को फिर प्रकृति को सौंपा जाता है।
  जीवन चक्र मनुष्य का भी कुछ यूँही चलता जाता है।
  अपने कर्मो को पूरा कर इंसान मिट्टी में मिल जाता है।

नीरज त्यागी
ग़ाज़ियाबाद ( उत्तर प्रदेश ).
मोबाइल 09582488698
65/5 लाल क्वार्टर राणा प्रताप स्कूल के सामने 

ग़ाज़ियाबाद उत्तर प्रदेश 201001

 

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