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सृजन समूह शामली, उत्तर प्रदेश

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गुरुवार, 3 सितंबर 2020

अपनी बात

  भाषा अभिव्यक्ति का सशक्त माध्यम है | यह हमारा सौभाग्य ही है कि भारतवर्ष भाषा के सन्दर्भ में भी बहुत समृद्ध देश है | देश में लगभग दो दर्जन सुस्पष्ट  भाषाएँ हैं जिनके पास अपनी सुन्दर लिपियाँ और कसी हुई व्याकरण है | हिन्दी, संस्कृत की पुत्रियों में सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा है | प्राकृत की अन्तिम अपभ्रंश हिन्दी ही मानी जाती है | सामान्यतया हिन्दी का जन्म सम्वत 1050 माना जाता है | कुछ विद्वान तो राजा मुंज और भोज से पहले राजा मान के समय अर्थात लगभग सम्वत 770 से ही हिन्दी के अस्तित्व को स्वीकारते हैं | कालान्तर में दिल्ली और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के आसपास बोली जाने वाली खड़ी बोली ही मानक हिंदी के रूप में उभर कर सामने आई | देखा जाए तो हिन्दी, अंग्रेजी की तरह अकिंचन भाषा कभी नही रही | क्योंकि अंग्रेज़ी को हमेशा अपनी शब्दावली के लिए अन्य युरोपीय भाषाओं का मुँह ताकना पड़ता है | जबकि हिन्दी के पास उसकी जननी संस्कृत का दिया हुआ विशाल शब्दकोष है | सामान्य अवधारणा है कि हिन्दी ने बहुत से गैर-हिन्दी भाषी शब्द अपना लिए लेकिन ऐसा नही है कि हिन्दी का इन शब्दों के बिना काम नही चलता | इसके विपरीत यह स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है कि पुरानी पीढ़ी हिन्दी में अरबी, फारसी आदि गैर-हिन्दी भाषा के शब्दों का अधिक प्रयोग करते थे |

इस बात की महती आवश्यकता है कि नई पीढी को हिन्दी के विषय में सही जानकारी दी जाए | उदहारण के लिए हम 1,2,3,4…….. आदि को अंग्रेजी भाषा के अंक कहते हैं जबकि यह पूर्णतया असत्य है | ये हिन्दी भाषा के ही अंक है जिनका यह रूप अंतर्राष्ट्रीय रूप है | अंग्रेजी रोमन लिपि में लिखी जाती है अत: अंग्रेजी के अंक भी वे ही तो होंगें जो रोमन लिपि के हैं | 14 सितम्बर 1949 को संविधान सभा ने हिन्दी को राष्ट्रीय भाषा घोषित किया था और ये तय हुआ था कि अगले पन्द्रह वर्षों में अंग्रेजीं का प्रयोग धीरे-धीरे कम करके सरकारी कामकाज पूरी तरह हिन्दी में किया जाया करेगा | दुःख की बात है कि राजनैतिक इच्छा शक्ति के अभाव में यह सम्भव हो सका | फिर भी हिन्दी स्वयं के बलबूते दिन-प्रतिदिन पुष्पित-पल्लवित होती जा रही है | जब कम्प्यूटर प्रचलन में आये तो कुछ स्वघोषित विद्वान गला फाड़कर चिल्लाया करते थे कि अब हिन्दी का प्रचलन कम होगा क्योंकि कम्प्यूटर नवीन विज्ञान की युक्ति है | ऐसे लोगों को स्वयं कम्प्यूटर ने ही गलत सिद्ध कर दिया |

  आप सभी को हिन्दी दिवस की बहुत-बहुत शुभकामनाएँ |

- जय कुमार

 



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