बादल आये कैसे झूम-झूम के,
काली-काली बदली को लाये,
घुमड-घुमड कर शोर मचाये,
छम-छम पानी को बरसाये।।
गौरी,एंजल बादल के शोर से,
दादी माँ से लिपट-लिपट जाए,
छोटी अनिका भी बारिश देख,
बूँदों को हाथों से पकडने जाये।।
तनु,ताशु,परी आकर के,
पानी में जा जा कर कूदे,
टीनू,भूमि ओर भावेश भी,
छप-छप छपाक खेलने आये।।
मेढक टर-टर शोर मचाये,
गर्मी से व्याकुल सारे बच्चें,
बारिश के पानी में नहाय,
सारे बच्चें हर्षित हो खेलें जाये।।
पेडों पर जब बरशे पानी,
नूतन सी छवी आ जाय,
सुन्दर से लगतें सब पेंड,
पेडों पर नयी-नयी आभाआयें।।
वर्षा का सारा पानी आकर,
प्यासी धरा की प्यास बुझाये,
आज हम सब कर ले संकल्प,
वर्षा जल का करें संग्रह व संरक्षण।।
नीतू सिंह (स.अ.)
क.पू.मा.वि.भूरा
कैराना(शामली)