रहता है कहाँ पे?
खोजते खोजते न जाने,
कितने चले गए जहां से ।
एक अजब सी हलचल,
करता भरता है मुस्कान।
सहसा देकर हिलोरे कहता,
रुकना नहीं मेरी शान।
तुझसे जो बिछड़ गया,
मानो खुद से बिछड़ गया ।
तू साथ है सबके,
नहीं तेरे साथ कोई रहा ।
तेरे साथ जो चला,
वह संघर्षों में संभल गया ।
ए, समय न तेरा पहिया,
कहीं रुका है न रुकेगा।
बस हर कोई तेरे,
चक्र के सम्मुख झुकेगा ।
समय अगर तेरे चक्र को,
हम रोक पाते।
तो शायद समय की कमी,
का कभी बहाना ना बना पाते।
ए, समय तू कभी किसी का
साथ नहीं निभाता है।
पर जो तेरा साथ निभाए ,
तू उसी का हो जाता है।
तुझको पहचान सकूं,
जान सकूं यही अर्ज हो सदा।
तेरे एक-एक क्षण का सदुपयोग करूँ ,
यही फ़र्ज हो सदा।।
सीमा रानी गौड़ (प्र०अ०)
प्रा०वि० हरडफतेहपुर-2