लॉकडाउन

सृजन


थके हुए इस जीवन के,

भावहीन निस्पंदन में।

मंथन का कुछ समय मिला,

इस लोक डाउन के बंधन में।।

          अपनों का संग भुला चुके थे,

          जाने किस मजबूरी में ।

          रिश्तो को नया अर्थ मिला,

          इस लोक डाउन के बंधन में।।

मन में अब आशाए जागी,

अनंत आसमान को छूने की ।

नव प्रयत्नों के पंख मिला,

इस लोक डाउन के बंधन में।

          सामाजिक दूरी रखने को,

          प्रकृति ने मजबूर किया ।

          तन से दूरी, मन से मिलाप

          इस लोक डाउन के बंधन में ।।

बचपन की बातों के किस्से,

वर्षों के अनुच्छेद हिस्से।

उन यादों के कुछ रंग मिला,

इस लोक डाउन के बंधन में।।

          इसने उसने सब ने बांधा,

          अपनी परिभाषा में मुझे।
          अपने में कुछ अलग मिला

          इस लोक डाउन के बंधन में।।



हर बंधन में कुछ अवसर है

हर अवसर को कुछ बांध जरा।

जीने का नया मंत्र मिला

इस लोक डाउन के बंधन में।।



           उमा शर्मा,

                   पूर्व मा०वि० हरडफतेहपुर                       वि०क्षे०-थानाभवन , शामली



         


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