शब्द प्रकृति शब्द अनुकृति,
कभी प्रश्न कभी उत्तर शब्द |
ये ही वक्ता ये ही श्रोता,
अपरिमित विस्तार लिए |
असीमित कार्यक्षेत्र युक्त,
अकथ अनादि अभेद्य शब्द।
गरिमापूर्ण महिमामंडित,
वेद, उपनिषद, पुराण रचते |
निरुक्त, भाष्य की भाषा यही,
अन्तर्मन को पवित्र बनाते |
शास्त्रों का उपदेश अगर है,
शस्त्रों की टंकार भी शब्द ।
कभी वरदान कभी श्राप,
अचूक अनश्वर होते शब्द |
मंगलगान की रीति बन जाते,
कहीं अशुभ की परिभाषा शब्द |
ओइम की वाणी यही है,
मौन में भी गूँजते शब्द।
सुखद अनुभूति शब्द रूप में,
आनंद की धारा बन जाती |
दुःखद व्यथा हृदय से छनकर,
मेघदूत की प्रिय कथा सुनाती |
हर्ष-विषाद के विभिन्न रूप में
नवीन सृजन कर जाते शब्द।।
प्रचंड वेग ओजस्वी तेज
सागर सी अथाह गहराई
कभी क्षितिज की अनंत ऊंचाई
हृदय के मंथन से निकल कर
सुंदरता को विचार देते शब्द
आभाओं को विस्तार भी शब्द।।
असि सदृश सीने को चीरते
कर्णप्रिय कभी मिठास घोलते
वाण बनकर छलनी कर देते
कभी औषधि बन जाते शब्द
जो ना कर पाए तलवारें
वहाँ काम कर जाते शब्द।।
अलका शर्मा,
क०उ०प्रा०वि०भूरा (कैराना)
शामली