कोरोना से युद्ध

सृजन
इस अंधियारे में दीप जो जलाया था सभी ने ,
हर आँधी-तूफान में  उसे बुझने से बचाया भी है।
हमारी संकप शक्ति का जो परिचय दिया है हमने,
उसे टूटने- बिखरने से बचाया भी है।

भूल कर भी न भूलना उन तालियों- थालियों की गूँज,
जिसने सभी का हौंसला बढ़ाया-बचाया भी है।
उन दीपों  का  रोशनी अब भी फैली है चारों ओर,
जिसने हमारी ऐकता को बढ़ाया-बचाया भी है।

बस यूँही बढ़ते जाना कर्तव्य है निभाना,
खुद को ही नही अपनों को भी है बचाना।
ये कोई रोग नही जीवन की परीक्षा की घड़ी है,
बोलो इस परीक्षा में  पास हो तुझे हराना है कोरोना।

पिता स्वरुप पी. एम. के मार्गदर्शन पर चलते ही रहना,
इस युद्ध रूपी वास्तविकता से विजयी हो जाओगे।
सामाजिक दूरी व स्वच्छता का पालन है करते रहना,
इस वायरस को हरा भारत का गौरव बढ़ाओगे।

तत्परता से डटे रहना है इस युद्धस्थली पर,
अपने बच्चों व बुजुर्गो को बचाने के पथ पर।
नियमों का पालन करने से परहेज़ नही करना,
समझो चल रहे हैं  देशसेवा-देशभक्ति के पथ पर।

न धर्म से जोड़ो इसे, न कोई राजनीति ही करो,
पूरे विश्व पर पड़ा है संकट,एक जुटता से लड़ो।
 
भले ही लगे जीत अपनी आसान नही है,
संयम और हौसले से आगे तुम बढ़ो।

मानवता का धर्म निभाने का समय है साथियों,
हर ज़रुरतमंद की ओर हाथ बढ़ाओ।
हर छोटी-बड़ी उंगलियाँ मिलकर मुट्ठी है बनती,
ऐसे ही सभी मिललकर इस वायरस को घुटने टिकाओ।


                             
                              गुँजन कौशल
                             सहायक अध्यापिका
                            प्रा०वि० बुन्टा, थानाभवन

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