शीतली प्राणायाम

सृजन


      शीतली प्राणायाम दो शब्दों से मिलकर बना है शीतली + प्राणायाम = शीतली प्राणायाम जहाँ पर शीतल का अर्थ होता है ठंडक कहने का अर्थ ये है की इस प्राणायाम को करने से शरीर को ठंडक मिलती है। इसलिए इसे शीतली प्राणायाम कहा जाता है। इसको अंग्रेजी में कूलिंग ब्रेथ भी कहा जाता है। ये प्राणायाम हमारे शरीर के लिए बेहद उपयोगी प्राणायाम है। यह प्राणायाम एक छायादार वृक्ष की तरह है जो भरपूर ऑक्सीजन का निर्माण करता है। ये गर्मियों के मौसम में किया जाने वाला सबसे अच्छा प्राणायाम है। 

शीतली प्राणायाम की विधि : सबसे पहले समतल जमीन पर कोई दरी बिछा कर उस पर सिद्धासन , सुखासन की अवस्था में बैठ जाएँ।  तनाव के बिना जीभ को मुंह के बाहर बढ़ाएं। जीभ के किनारों को रोल करें ताकि यह एक ट्यूब या नालिका जैसी बन जाए। इस ट्यूब के माध्यम से साँस अंदर लें। साँस लेने के अंत में, जीभ को मुंह में वापिस अंदर ले लें और उसे बंद कर लें। नाक के माध्यम से साँस छोड़ें। श्वास लेते समय तेज हवा के समान ध्वनि उत्पन्न होनी चाहिए।

सावधानी :  1. रक्तचाप या श्वसन विकार जैसे अस्थमा, ब्रोंकाइटिस और अत्यधिक बलगम से पीड़ित लोगों को इस प्राणायाम का अभ्यास नहीं करना चाहिए। (और पढ़ें - ब्रोंकाइटिस के लक्षण)
2. जिन्हे हृदय रोग हो, उन्हे शीतली प्राणायाम के अभ्यास में श्वास नहीं रोकना चाहिए।
3. यह अभ्यास कम ऊर्जा केंद्रों के कार्यों को मंद करता है, इसलिए, पुरानी कब्ज से पीड़ित लोगों को शीतली प्राणायाम का अभ्यास नहीं करना चाहिए।
   पुष्पेन्द्र कुमारगोस्वामी


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