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सृजन समूह शामली, उत्तर प्रदेश

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शनिवार, 9 मई 2020

सम्पादकीय (मई 2020)



हाल ही में प्रधानमन्त्री जी ने एक वक्तव्य दिया— ‘हमने विश्व को युद्ध नही बुद्ध दिए |’ इतिहास पर दृष्टि डाली जाए तो उनके कथन में लेशमात्र भी असत्य नही मिलता | कभी भारतवर्ष का आकार बहुत विशाल हुआ करता था | लगभग आधा दर्जन हिस्से भारतवर्ष से कट कर आज अलग देश के रूप में अपना अस्तित्व बनाए हुए हैं | हम तो अपने वर्तमान भूखण्ड से ही सन्तुष्ट हैं | कभी दूसरे देश को मिलाने की सोचना तो दूर की बात, हमने अपने से ही अलग हुए हिस्सों को भी वापस जोड़ने की कोशिश नही की | हाँ इतना अवश्य है कि अब नया भारतवर्ष अपने भूभाग पर अवैध कब्ज़े को स्वीकार नही करता |
दुनिया आज कोविड-19 जैसी भयंकर महामारी से जूझ रही है | देर-सबेर अहम इस संकट से निजात पा ही लेंगें | लेकिन एक और संकट है इस दुनिया पर जो लम्बे समय से काले बादलों की तरह मंडरा रहा है | वो है कट्टरवाद | विवेकानंद कहा करते थे कि ऐसा कहना कि मेरा धर्म सर्वश्रेष्ठ है और मेरा ही धर्म सर्वश्रेष्ठ है , यह बहुत ही घातक है | एक इसी बात ने विश्वभर की शान्ति छीन रखी है | मानवता की रक्षा के लिए इसे त्यागना ही होगा | सभी को अपने धर्म और मत का पूरे मन से पूरी श्रद्धा के साथ अनुसरण करने का अधिकार पूरे विश्व में मिलना चाहिए | लेकिन एक धर्म के लोग दूसरे धर्म के लोगों पर अपना मतारोपण करें तो यह अशान्ति उत्पन्न करेगा | सब अपने  धर्म-मजहब की बातें प्रचारित करने के लिए तो स्वतन्त्र हो सकते हैं लेकिन किसी को बल पूर्वक अपने सम्प्रदाय के विचारों में आस्था उत्पन्न करने के लिए विवश नही किया जा सकता |
दुनिया का एक बड़ा भूभाग इसी चेष्टा के कारण अशान्त रहता है | भगवान बुद्ध ने भी अपने मतों का प्रचार-प्रसार किया लेकिन कभी शारीरिक या मानसिक हिंसा नही की | तभी तो वे लोग जो बोद्ध नही हैं वे भी उनके प्रति आदरभाव रखते हैं | दुनिया के सभी धर्मों में सह-अस्तित्व की भावना का समावेश आवश्यक रूप से होना चाहिए नही तो फिर उसे धर्म कहलाने का भी अधिकार नही |
बुद्ध पूर्णिमा और पवित्र रमजान की हार्दिक शुभकामनाएं |
-जय कुमार


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