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सृजन समूह शामली, उत्तर प्रदेश

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बुधवार, 1 अप्रैल 2020

अपनी बात


      
विकट परिस्थिति है | सारा विश्व एक अनदेखे शत्रु से जूझ रहा है | शत्रु इतना शक्तिशाली है कि दुनिया की बड़ी-बड़ी ताकतें असहाय नज़र रही हैं | हमारे लिए सन्तोष की बात यह है कि हमने अपने देश की बागडोर सम्भालने के लिए एक सजग और सुदृढ़ व्यक्ति को प्रधानमन्त्री के रूप में  चुना हुआ है | वे केवल शारीरिक रूप से मज़बूत हैं अपितु वैचारिक रूप से भी बहुत दृढ हैं | वे अपनी ओर से भरसक प्रयास कर रहे हैं, देश के एक-एक नागरिक के जीवन की रक्षा करने का | अब यह हमारा दायित्व है कि हम उनके प्रयासों में उन्हें सहयोग दें | हमें कोई ऐसा कृत्य नही करना जिससे उनके सारे किये-कराये पर पानी फिर फिर जाए | हमारी राजनैतिक विचार धाराएँ भिन्न-भिन्न हो सकती हैं लेकिन ये राष्ट्र की सुरक्षा का प्रश्न है अत: आवश्यकता इस बात कि है हम उनके मन्तव्य को समझे और उनके दिए गये निर्देशों का पालन करें |
इस परिस्थिति में एक विचार स्वभाविक रूप से मन में उभरता है कि जिस प्रकार अन्तरिक्ष के क्षेत्र में अपने प्रयोगों, अनुसंधानों तथा उपलब्धियों के बूते आजभारतीय अन्तरिक्ष अनुसन्धान संगठनका विश्वभर में डंका बज रहा है ऐसा चिकित्सा अनुसन्धान क्षेत्र की संस्था क्यों नही कर पा रही है | कोरोना वायरस से पहले मुझे तो यह भी पता नही था कि कोई इस तरह की संस्था भी भारतवर्ष में है | हो सकता है ऐसा मेरे अल्पज्ञान के कारण हो और आप लोग पहले से ही जानते हो | लेकिन यह भी सर्विदित है कि आज अगर ISRO को देश का बच्चा-बच्चा जानता है तो इसका कारण केवल और केवल वहाँ कार्य करने वाले वैज्ञानिकों और शोधार्थियों के परिश्रम का ही फल है | सही अर्थों में वे लोग तपस्वियों के समान हैं | देश की अन्य सभी केन्द्रीय संस्थाओं को भी स्वयं को उत्कृष्टता के उसी स्तर पर ले जाने की आवश्यकता है जहाँ पर आजभारतीय अन्तरिक्ष अनुसन्धान संगठनहै | नवसंवत्सर में ऐसी ही आशा करते हैं |
विक्रम संवत २०७७ की हार्दिक शुभकामनाएँ |
                                  -जय कुमार


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