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सृजन समूह शामली, उत्तर प्रदेश

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बुधवार, 1 अप्रैल 2020

हमारी संस्कृति


                                
कोरोना वायरस आया और भय का वातावरण छाया,
चारों ओर यह कैसा मंजर , इस दुनिया को दिखलाया |
हाथ मिलाने का वैस्टर्न कल्चर,सारी दुनिया छोड़ रही,
हाथ जोड़कर करें नमस्ते,आज यह दुनिया सीख रही |
   
दादी  नानी की कहानियों में सत्यता की जो बातें थी,
पहली छींक पर छत्रपति,दूरजी पर जयनंदी कहती थी |
खांसने पर मुलैठी को चिंगम जैसे  चबाने को देती थी,
आंगन की तुलसीपत्तों का काढ़ा बुखार में पिलाती थी |

किसी भी वायरस से हमारा,दूर दूर तक ना नाता था,
दादीजी ने नीम की कोंपलों को हमको खिलाया था |
नीम के पत्तों के पानी  में रगड़ रगड़  नहलाया  था,
कीकर की दातुन से दाँतों को मोतियोंसा चमकाया था |

आँगन की माटी में  सबकी खूब कबड्डी  होती थी, 
धूल धूसरित तन को देख कर ताली दे दे  हँसते थे |
तन पर माटी को दादा प्राकृतिक चिकित्सा कहते थे,
अस्थियों को मजबूत बनाने की जादुगरी सिखाते थे |

दादाजी क मन के अंदर तब एक लाईबेरी रहती थी,
संग खेतोंपर जाना,नित नई बातें ज्ञान वृद्धि करती थी |
वायरस जैसी बातें तो तब कभी भी नहीं निकलती थी,
उस जीवन  शैली में  निरोगी काया सदैव ही रहती थी |

                         
 खेती गोमूत्र-गोबर से करना मज़ाक उड़ाया जाता था,
वृक्षों-पत्थरों की पूजा को अंधविश्वास बताया जाता था |
जैविक खेती पर सब लौटे,रसायनों से मोह भंग हुआ,
पर्यावरण संरक्षण की खातिर ,हमें प्रकृति से प्रेम हुआ |

छोड़करअपनी संस्कृति हम,पाश्चात्य सभ्यता में रंग रहे,
वही सभ्यता,वैदिक संस्कृति में  जीवन मूल्य ढूंढ रही |
शाकाहार भोजन के फायदें ,देखो डॉक्टर बता रहे,
मांसाहार से नाता तोड़ने की,बातें सभी को सिखा रहे |

अपनी समृद्ध संस्कृति से मानव कितना विमुख हुआ,
उपभोक्ता वाद की संस्कृति में जीवन के सुख ढूंढ रहा |
भौतिक सुख में आनंद खोजे ,भागम भाग में जी रहा,
ऋषियों मुनियो के भारत में वाणी ओइम को भूल रहा |

आज भयंकर इस विपदा में, प्रधानमंत्री ने आह्वान किया,
घर में रहकर सुरक्षित रहना, केवल यही तो मांग लिया |
खुद की रक्षा है देश की रक्षा, आज यही तो जान लिया,
हाथ जोड़कर विनती सबसे, देश हित में इसका पालन करें |


                                                                -अलका शर्मा





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