आती हैं जब बेटी माता की कोख में,
सुन्दर सपनें लेकर दोनों आखों में ,
सरल स्वभाव,कोमल सुन्दर भावों से,
हृदय मे लेकर अथाह प्रेम का सागर ।।
प्यार से करें सब उनका पालन,
नहीं होती बेटियाँ किसी से कम,
बेटों के मोह मे आकर करो ना,
कोमल नन्हीं सी परियो का अन्त।।
वंश चलाने के चक्कर में देखो,
आज भी होते है ये काम सभी,
कही कोख मे,तो कहीं अत्याचार से,
ससुराल मे मार दी जाती हैं बेटियाँ।।
खुले फिरते समाज मे दानव बनके,
होती जिनके तनिक भी शर्म नहीं,
जो मनुष्य बेटी को बेटी ना समझे,
उनको भी जीनें का अधिकार नही।।
समझते है बेटियों को जो बेटों से कम,
बेटियों के बिना तो कोई घर,घर नहीं,
वहीं तो बनाती हैं हर मकान को घर,
बेटियो के बिना कोई घर स्वर्ग नहीं।।
आज के जीवन के हर क्षेत्र मे देखों,
है कौन सा वह क्षेत्र जहाँ बेटियों ने,
लहराया सफलताओं का परचम नहीं,
बोझ नहीं परियों जैसी होती है बेटियाँ।।
नीतू सिंह(स.अ.)
क.पू.मा.वि.भूरा
कैराना(शामली)