जितनी भोली,उतनी सयानी,
पिचकारी भर-भर कर लाती,
कभी रंग डालें तो कभी पानी।।
लाल-हरा-गुलाबी-नीले-पीले,
बहुत सारे रंगों से होली खेलें,
कभी गुब्बारों मे रंग भर लेती,
गुब्बारों को फिर फेंके बारी-बारी।।
रंग-रंग के रंगों से रंगकर आज,
तितली सी लगती बिटिया रानी,
अपनी टोली मे आती बार-बार,
रंग-गुलाल लगाती बारी-बारी।।
दादा-दादी,मम्मी-पापा,भाई-बहन,
संग मिलकर गुलाल उडाती सब पर,
खुशियों से गले मिलकर होली मनाती,
सबसे न्यारी हमारी प्यारी बिटिया रानी।।
नीतू सिंह(स.अ.)
क.पू.मा.वि.भूरा
कैराना(शामली)