मैं और तुम

सृजन


है कौन बड़ा और कौन नही ,
ये समय नही इन बातों का |
 
            मिलजुलकर हम कार्य करे,
            यह निर्णय है विधाता का |

मैं नींव रखूँ इस बचपन की,
तुम आकर चढ़ना सिखलाना |

            मैं मिट्टी का आकार ढलूँ,
            तुम उसको आव लगाना |

-नीरज (स०अ०)
प्रा०वि० मालेंडी-1

#buttons=(Ok, Go it!) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Ok, Go it!