बेटी का घर
घर मेहमानो से भरा था , छोटी का पांचवा जन्म दिन था , सब लोग बधाईयॉ दे रहे थे , शिशिर उसको छोटी बोलता था बाकी उसका नाम शिवि था | इस मौके को और खास बनाने के लिए शिशिर ने उन सब लोगो को भी बुलाया था जो हमारी शादी में नहीं आ सके थे ,मेरे परिवार से सिर्फ माँ ही आयी थी पिता जी को गुजरे हुए १० साल हो गए थे | शादी के बाद मेरी यही चिंता थी की माँ कैसे रहेगी जॉब के बाद बड़े भैया भाभी बंगलौर रहने लगे थे घर पर मै और माँ अकेले रह गये थे | मेरी शादी के बाद भैया ने माँ को साथ में चलने के लिए बहुत बोला पर माँ तैयार नहीं हुई | बोली -मै अकेले रह लूगीं | आज वो इतनी दूर से अकेले शिवि के जन्म दिन पर आयी थी शिशिर उन्हें खुद लेने गए थे | जन्म दिन की पार्टी सब ने बहुत एन्जॉय की, एक दो दिन बाद सारे रिस्तेदार चले गए पर इन्होंने माँ को नहीं जाने दिया माँ की तबियत अचानक ख़राब हो गयी | उन्हें एडमिट करना पड़ गया डॉक्टर ने तीन चार दिन उन्हें एडमिट रखा फिर बेड रेस्ट लिख दिया घर आने के बाद भी शिशिर ने माँ की बहुत देखभाल की | हॉस्पिटल डॉक्टर दवाईया सारी जिम्मेदारी निभाई l लगभग २० दिनों बाद इन की बड़ी बुआ फिर से आ गयी जो शिवि के जन्म दिन पे आयी थी | रात को डिनर टेबल पे सब बैठ के खाना खा रहे थे सास ससुर शिशिर मेरी माँ और बुआ जी | मै सब को खाना परोस रही थी तभी बुआ जी बोली अरे बहु तुम्हारी माँ तो यही जम गयी है जाने का नाम ही नहीं ले रही है बेटी का घर इतना पसंद आ गया क्या? माँ की नजरे निचे झुक गयी गला भर आया और मै भी कुछ न बोल सकी शिशिर मेरी ओर ही देख रहे थे और उन्होने बुआ जी को बोला जब माँ बेटे के साथ रह सकती है तो बेटी साथ क्यों नहीं? आज से माँ हमारे साथ ही रहेंगी ये सुन के मेरी आँखें नम हो चली थी पर वो आँसूं खुशी के थे, गर्व के थे, मै कुछ न बोल सकी बुआ जी झेप गयी और सर झुका कर खाने लगी l आज मेरे मन में शिशिर की इज्जत और बढ़ गयी थी और सही भी है जब माँ बेटे के साथ रह सकती है तो बेटी के साथ क्यों नहीं?
अंकिता मिश्रा
स०अ० (विज्ञान)
पूर्व मा०वि० कटरा बाज़ार, गोंडा