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सृजन समूह शामली, उत्तर प्रदेश

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सोमवार, 2 दिसंबर 2019

गुरुकुल-3



3. विशेषज्ञ किसान 
सभी शिष्य कक्षा में उपस्थित थे | प्रोफेसर देव की प्रतीक्षा की जा रही थी |
हर्ष ने प्रसन्नता से कहा- “दोस्तों,  आज तो जान बच गयी | आज कहीं बाहर नही जाना पड़ेगा | रोज-रोज बाहर जाकर मेरा तो वज़न भी कम हो गया |”
विवेक ने शंका व्यक्त करते हुए कहा- “अभी खतरा टला नही मोटे ! सर को आने तो दे |”
गौतम को बोलना पड़ा- “मुझे समझ नही आता मित्रों कि तुम लोगों को कक्षा से बाहर निकलने में क्या समस्या है ? आखिर ये भी हमारे प्रशिक्षण का ही एक भाग है ... और फिर तुम लोग देख ही रहे हो कि सबसे अधिक हम लोग देव सर से ही सीख रहे हैं क्योंकि वो कोई भी बात हम थोपते नही | उनकी हर बात में कोई गहन तर्क होता है और वो कितनी आसानी से हमें गहरी से गहरी बात समझा देते हैं |”
अब आगे किसी की हिम्मत नही हुई बोलने की |
प्रोफसर देव ने कक्षा में प्रवेश किया
“क्या बात है ? आज सब लोग बड़े गहन चिन्तन में लग रहे हैं?’’ उन्होंने माहौल को भाँपकर प्रश्न उछाला |
गौतम बोला- “नही सर, ऐसा कुछ नही | बस आपके आने की प्रतीक्षा कर रहे थे |”
“ठीक है, मान लेता हूँ |” प्रोफ़ेसर बैठते हुए बोले |
“चलिये आज हम परसों शनिवार के दिन के भ्रमण के बारे में चर्चा करते हैं |” उन्होंने आगे कहा |
अब हर्ष आश्वस्त हो गया था कि आज कहीं बाहर नही जाना पड़ेगा |
प्रोफ़ेसर ने परसों के भ्रमण पर चर्चा करने के लिए राघव को आदेश दिया |
राघव खड़ा होकर बोला –“सर, जैसा कि परसों हम लोग कुछ विद्यालयों के भ्रमण पर गये थे | वहाँ हमने कुछ महत्वपूर्ण बातें नोट की |
प्रोफेसर- “जैसे कि ?????..............”
राघव- “सर, सबसे बड़ी बात जो हम सबको बड़ी विचित्र लगी वो यह थी कि प्रत्येक कक्षा में एक-दो बच्चा तो बहुत होशियार था लेकिन अधिकांश बच्चे औसत से कम ज्ञान वाले ही लगे |”
प्रोफेसर गम्भीरता से बोले –“आप लोगों ने बहुत महत्वपूर्ण बात को संज्ञान में लिया | आप लोगों की दृष्टि में  इसका कारण क्या है ?
उत्तर शिखा ने दिया –“हो सकता है शिक्षक उन्ही बच्चों से विशेष स्नेह रखते हों और बाकी बच्चों पर समुचित ध्यान नही देते हों |”
“और कोई बताये”- प्रोफ़ेसर ने प्रश्न भरी निगाहों से कक्षा में देखा |

आकांशा –“सर, हो सकता है जो बच्चे अच्छा सीख रहे हैं वो अच्छे परिवारों से हों और बाकी निर्धन परिवारों से |”
प्रोफेसर अभी और उत्तरों की प्रतीक्षा कर रहे थे |
जब कोई नही बोला तो गौतम खड़ा होकर बोला –“सर, मुझे तो इन दोनों ही बातों में दम नज़र नही आया | कोई शिक्षक आज के ज़माने में इतना भेदभाव नही कर सकता कि कक्षा के केवल दो-चार बच्चों को ही पढाये और शेष सबकी उपेक्षा करता रहे | और जहाँ तक पारिवारिक पृष्ठभूमि या आर्थिक स्थिति की बात है तो वो तो सब जानते ही हैं कि सामान्य विद्यालयों में लगभग सभी बच्चे दुर्बल आर्थिक पृष्ठभूमि के बच्चे आते हैं |”
प्रोसेसर गौतम के स्पष्टीकरण से सन्तुष्ट तो नज़र आये लेकिन उन्होंने यह भी कहा –“देखो शिष्यों, गौतम ने सभी बातें सही कही लेकिन यहाँ मैं यह भी स्पष्ट कर देना चाहता हूँ कि बच्चे की आर्थिक और सामाजिक पृष्ठभूमि का बच्चे की मेधा से कोई विशेष सम्बन्ध नही है | इसका एक उदाहरण डॉ० भीमराव अम्बेडकर हैं .... और भी बहुत सारे आप अपने आसपास रोज़ देखते-सुनते ही हैं |”
“तो सर, आप ही बताइये ऐसा होता ही क्यूँ है ?” आकाँक्षा ने जिज्ञासा से पुछा |
“मैं क्या बताऊँ ? हमें विशेषज्ञ से ही पूछना होगा |” प्रोफ़ेसर बोले |
“और वो कौन हैं ? कहाँ मिलेंगें, सर” हर्ष ने पूछा |
“मै जानता हूँ उसे | चलो मेरे साथ सब |” प्रोफ़ेसर ने आदेश दिया |
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लगभग एक घन्टे बाद .....
सभी किसी गाँव के खेतों में खड़े थे |
राघव ने पूछा –“सर, हम यहाँ आकर रुक क्यूँ गये ? और वो विशेषज्ञ कहाँ हैं जिनकी आप बात कर रहे थे ?”
प्रोफ़ेसर मुस्कुराते हुए बोले –“हम यहाँ इसलिए रुके क्योंकि हमारे प्रश्न का उत्तर यहीं पर है और उधर देखो उधर दूर से कोई आ रहा है | वही विशेषज्ञ हमें उत्तर को समझायेगा |”
शिखा ने आश्चर्य से कहा-“सर, वो तो कोई अनपढ़ किसान लगता है |”
“हाँ, तो क्या हुआ उसे आने तो दो तब तक तुम अपने उत्तर को देखो |” प्रोफसर ने दो खेतों की और इशारा करते हुए कहा | “देखो इन दो खेतों को | बताओ क्या देख पा रहे हो ?”
गौतम गम्भीर मुद्रा में बोला –“सर, एक खेत में खडी गेहूँ की अच्छी फसल खडी है | ...... अधिकांश पौधे लगभग बराबर लम्बाई के हैं | और दूसरे खेत में औसत से भी अधिक सँख्या में पौधे कम लम्बाई वाले और कमज़ोर हैं ?”
आकाँक्षा ने आगे जोड़ा –“लेकिन सर, इस दूसरे खेत के कुछ थोड़े से पौधे पहले खेत के पौधे जितने ही स्वस्थ हैं |”

प्रोफ़ेसर मुस्कुराये ..  उसी तरह जैसे वो तब मुस्कुराते हैं जब कि उनके शिष्य दिए गये पाठ को समझने के करीब होते हैं | बोले –“कोई कारण समझायेगा ?”
हर्ष बोला –“सर, हम क्या समझाएँ ? अब तो आपके विशेषज्ञ महोदय ही समझायेंगें | लो आ गये वो ?”
किसान पहले तो सबको देखकर हैरान हुआ | लेकिन बाद में उसे प्रोफ़ेसर ने सारे बातें समझायी | फिर दोनों खेतों के विषय में अपने प्रश्न का उत्तर देने का भी आग्रह किया |
अब किसान सहज महसूस कर रहा था | उसने बड़ी सरलता से समझाया –“पहला खेत मेरा है | मै इसमें नियमित रूप से पर्याप्त मात्रा में खाद-पानी आदि देता हूँ जो सभी पौधों आसानी से सुलभ हो जाता है | इसीलिए मेरे खेत के अधिकांश पौधे समान लम्बाई के हैं और लगभग सभी स्वस्थ हैं| दूसरा खेत मेरे पडोसी का है | वह बाहर रहकर नौकरी करता है | फसल के पालन-पोषण को अधिक समय नही दे पाता | कभी-कभी भाग-दौड़कर जैसे-तैसे सिंचाई कर पाता है | जब ऐसी स्थिति होती है तो कुछ पौधे कमज़ोर रह जाते हैं  तथा कुछ थोड़े-बहुत पौधे स्वस्थ हो जाते हैं | कभी-कभी औसत से भी ज्यादा स्वस्थ ....... बाद में कमज़ोर पौधे और अधिक कमज़ोर हो जाते हैं | जबकि जिस खेत में नियमित रूप से खाद व पानी दिया जाता है उसमें अगर कुछ पौधे कमज़ोर रह भी जाएँ तो वो भी देर-सबेर बाकी पौधों जितने ही स्वस्थ हो जाते हैं |”
सभी शिष्य आश्चर्य से किसान की बात सुन रहे थे |
अब प्रोफ़ेसर ने स्पष्ट किया –“और इसी तरह कुछ विद्यालयों में अगर कुछ कमज़ोर बच्चे भी प्रवेश पा जाते हैं तो वो अनुकूल वातावरण और शिक्षकों के निरन्तर सानिध्य में रहकर औसत स्तर तक तो पहुँच ही जाते हैं |”
आगे उन्होंने गौतम को बोलने का अवसर दिया |
गौतम बोला- “और जिन विद्यालयों में न अनुकूल वातावरण है न ही बच्चों को शिक्षक का सानिध्य पर्याप्त समय के लिए मिलता उनमें वही स्थिति उत्पन्न हो जाती है जैसी की दूसरे खेत में | और शायद इसीलिए अगर किसी विद्यालय के दो-चार बच्चे औसत से अधिक बुद्धिमान भी हैं तो भी उस विद्यालय को अच्छा विद्यालय नही कहा जाएगा |”
आगे भी प्रोफ़ेसर नही बोले .. उन्होंने आकाँक्षा को बोलने का संकेत किया |
आकाँक्षा ने बात को आगे बढाया –“और जिन विद्यालयों के अधिकांश बच्चे औसत से ऊपर बुद्धि स्तर के हैं वही श्रेष्ठ विद्यालय कहा जाएगा |”
प्रोफ़ेसर बहुत सन्तुष्ट नज़र आ रहे थे क्योंकि आज फिर उनका शिक्षण सफल रहा |
मोटा हर्ष प्रोफसर के ठीक सामने आकर खड़ा हुआ, हाथ जोड़े और सर झुकाकर बोला- “नमस्ते सर !”
प्रोफ़ेसर सहित सभी जोर से हँस पड़े |
उन्होंने किसान को धन्यवाद दिया और अपने शिष्यों को वापस लौट चलने का संकेत किया |
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