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सृजन समूह शामली, उत्तर प्रदेश

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बुधवार, 4 दिसंबर 2019

सम्पादकीय दिसम्बर 2019

   अपनी बात 

फिर से हृदय विदारक घटना .. नारी की चीत्कारों से समूचा भारतवर्ष सहम गया | इस बार दरिन्दगी का शिकार होने वाली तो अबोध बालिका थी और ही छोटे कपडे पहनने वाली किशोरी | इस बार हैवानों ने एक सुशिक्षित और सफल बाला पशुचिकित्सक प्रियंका रेड्डी को चुना | हैरानी की बात है कि है वे नागरिक विशेषतया महिलायें चुप हैं जो धर्म के आधार पर होने वाले हर छोटे बड़े अपराधों के लिए आपा पीटने लगती हैं | आज एक नारी के प्रति क्रूरतम अपराध हुआ है तो चुप्पी साध ली | शायद राजनीतिक लाभ-हानि के गुणा भाग में लगी होंगीं | सरकार भी क्या करे ? और क़ानून की भी अपनी एक लम्बी प्रक्रिया होती है | समाज को ही जागना पड़ेगा | ये विचारणीय प्रश्न है कि समाज में ये भेडिये पैदा कैसे हैं और पनपते कैसे हैं ?
वर्तमान पीढ़ी में संस्कार नही पड़ रहे शायद | संस्कारों और आदर्शों को पाठ पढाये कौन ? आधी-अधूरी शिक्षा, टूटे-बिखरे परिवार और भोगवादी परिवेश | ऐसे में एक शिक्षक ही है जो समाज की इस सडन को ख़त्म कर सकता है | लेकिन इसके लिए आवश्यक है कि समाज और सरकार शिक्षक को समुचित सम्मान और प्रोत्साहन दे | सरकार द्वारा बालिकाओं के लिए चलाये जा रहे कार्यक्रमों को गम्भीरता से लेने की आवश्यकता है | यूनीसेफ द्वारा बालिकाओं को केन्द्र में रखते हुए चलाये जा रहेमीना अभियानका उद्देश्य बहुत ही पवित्र है | आइये बालिकाओं को सबला बनाने वाले इस पुनीत कार्य में पूरे मन से सहयोग करें |
क्रिसमस की बहुत-बहुत शुभकामनाएँ |
-जय कुमार 

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