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सृजन समूह शामली, उत्तर प्रदेश

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रविवार, 17 नवंबर 2019

रोमा की पहल


                         


          “अरे रोमा! उठ जा तुझे पता है ना आज तेरे भाई के स्कूल का पहला दिन है जल्दी से जा उसको तैयार कर दे और हाँ स्कूल छोड़ कर ही घर पर आना मैं खेत जा रही हूँ दोपहर भर लौटूंगी तब तक घर के कामकाज निपटा ले, घूमने ना चली जाना सहेलियों के संग |”- कहते हुए रोमा की मॉ दरवाजे से दस कदम दूर तक जा चुकीं थी, इधर रोमा अपने भाई को तैयार करने में लग गयी और स्कूल पहूंच गयी जहाँ बच्चें एक जैसी जर्सी में बहुत सुन्दर लग रहे थे, लडकियॉ अपने सहेलियो के साथ हसी मजॉक कर रही थी। यह सब देख रोमा का भी मन किया की रूक जाये और वो कुछ देर वहीं रूक गयी, तभी उसे याद आया की घर के काम भी तो करने है वरना मॉ नाराज होगी यह सोच वह जल्दी जल्दी कदम उठाने लगी जितने तेज गति से वो चल रही थी साफ जाहिर हो रही थी उसके बैचेन मन के अरमानों के बारे में। 
खैर जब मॉ दोपहर बाद घर आयी तो उसने मॉ से बात करने की कोशिश की पर ना वो सहीं से बता पाती,ना ही उसे सुनने की कोई परवाह थी देखते देखते शाम हो चली थी वो फिर से हिम्मत जुटा चुकी थी और फटाक से बोली अम्मा मुझे भी स्कूल जाना है, मेरा भी मन कर रहा है कि मैं स्कूल जाऊँ मॉ ने आव देखा ना ताव और बोल पडी़ हा हा बड़ा आयी स्कूल जाने वाली एक अक्षर पढ़ पाती हैं ?नहीं ना ,यहाँ पूरा दिन में खेत के काम करूगीं और ये बड़ा आयी पढने वाली घर के काम कौन करेगा बोलते हुए वो सोने चली गई ईधर रोमा के मन में विचारों और सवालों का सैलाब उमड़ रहा था वह ना चाहते हुए भी उठ कर बैठ गई और धीरे धीरे बड़बडा़ते हुए ना जाने क्या क्या बोली जा रही थी।उससे रहा ना गया जैसे तैसे उसने पूरी रात काट ली और घर के काम काज अपनी माँ के खेत जाने के पहले ही खतम भी कर लिए वैसे रोमा ने सुबह से एक घूट पानी भी नहीं पिया था उसका गला सूख गया था आवाज भी रूआसी थी पर स्कूल जाने की जिद्द थी बस , माँ भी भाप चुकी थी पर कुछ ना बोली, अपने भाई के साथ वो रोजाना स्कूल जा रही थी और अब माँ भी स्वभाव से नरम होती जा रही थी कहीं ना कहीं बेटी की लगन और मेहनत से वो खुश थी अपने भाई के साथ घर पर भी पढाई करती, घर का माहौल सकारात्मक होने लगा था मॉ ने घर के काम लेना रोमा से कम कर दिया था। शायद माँ सरस्वती का वास हो चला था उनके घर में साथ ही घर की लक्ष्मी(बेटी) का भी और आपके घर में?

 -अंकिता मिश्रा 
स०अ० (विज्ञान)
पूर्व मा०वि० कटरा बाज़ार, गोंडा

                                                  
 


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