नवाचार का शीर्षक: "पाइथोगोरस प्रमेय का क्रियाशील सत्यापन माड़ल”
विषय: गणित
कक्षा: 6, 7 व 8 के लिए उपयोगी।
निर्माण की विधि: यह माड़ल घर या स्कूल में ही स्ट्रा-पाइप, पुरानी कांच या बोर्ड सीट, 25 बोर्ड पिने या छोटी गेंदे (या मोती या डाइस) का प्रयोग कर बनाया जा सकता है। जैसा कि हम जानते हैं पायथागॉरियन प्रमेय के अनुसार कर्ण की भुजा का वर्ग, आधार की भुजा के वर्ग व लम्ब की भुजा के वर्ग के योग के बराबर होता है। अत: इसके लिए सबसे पहले हम एक कांच या कार्ड की सीट के ऊपर एक ऐसा समकोण त्रिभुज तैयार करते है जिसके कर्ण का वर्ग इसके लम्ब के वर्ग व आधार के वर्ग के योग के बराबर हो ( उदाहरण के लिए कर्ण- 5, लम्ब 3 व आधार 4 के अनुपात में लेकर जो ली गयी छोटी गेंद या मोती के व्यास के गुणांक में हो)। अब प्रत्येक भुजा पर उसकी लम्बाई का एक – एक वर्ग बनाते है। अब तीनो वर्गो की प्रत्येक भुजा के ऊपर एक अच्छे चिपकाने

वाले पदार्थ से स्ट्रा पाइप चिपका देते हैं। इस प्रकार हमे बोर्ड या कांच की सीट पर समकोण त्रिभुज बनाते हुए तीन वर्ग मिल जाते हैं। साथ ही पहले से ली हुयी 25 छोटी गेंदे, मोती या डाइस रखते है। बस हो गया माड़ल तैयार।
प्रयोग की विधि: सबसे पहले तैयार माड़ल को समतल मेज या जमीन पर रख ले। अब लम्ब व आधार वाले वर्ग में लिए गए बोर्ड़ पिनो, गेंदो या मोतियो या डाइसो को एक पर्त के रुप में फैला ले। इसके बाद ये दोनों वर्ग खाली कर इन बोर्ड पिनो, गेंदो या मोतीयो या डाइसो को कर्ण वाले वर्ग में फैलाये तो हम पाते हैं कि ली गयी सामग्री इसमें पूरी-पूरी समा जाती है। इस प्रकार पाइथोगोरस प्रमेय का सत्यापन खेल-खेल में हो जाता है। प्रयोग को ओर अधिक रोचक बनाने के लिए दोनों छोटे वर्गो में अलग- अलग रंगों की सामग्री का प्रयोग कर सकते हैं।
सावधानी: ली गयी सामग्री के व्यास, या भुजा के गुणांक में ही वर्ग तैयार करने चाहिए। सभी सामग्रियों की माप एक समान होनी चाहिए। चिपकाने वाला पदार्थ अच्छी गुणवत्ता वाला होना चाहिए।
प्रयोग क्षेत्र: विदयालय में कक्षा-कक्ष शिक्षण में प्रयोग आधारित अधिगम प्रदान करने हेतु। छात्रों में गणित विषय व त्रिभुजो में रूचि व जिज्ञासा जाग्रत करने के लिए एवं प्रदान किए गये ज्ञान को दृढ़ करने हेतु प्रयोग कर सकते हैं।

यहां दिखाए गए पाइथोगोरस प्रमेय मॉडल में भुजा के वर्गों के बजाय आयतन का प्रयोग किया गया है जिसमें वर्ग का गुणनफल इकाई से करने पर वह आयतन में परिवर्तित हो जाता है। इसी सिद्धांत को इस पाइथागोरस प्रमेय के माडल में दिखाया गया है। इसमें भुजा के साथ बने घनाभो में भरा द्रव कर्ण वाले घनाभ को पूरा भर देता है, जिसको पूरा-पूरा आधार व लम्ब वाले घनाभ में पलटा जा सकता ह। इस प्रकार कर्ण वाली भुजा के घनाभ के अंदर जो दर्व भरा होता है वह आधार वाली व लम्ब वाली भुजा के घनाभ में पूरा पूरा समा जाता है और इसका उल्टा करने पर इन दोनों भुजाओं के घनाभ का द्रव पूरा- पूरा कर्ण वाली भुजा में समा जाता है। इस प्रकार यह यथार्थ देखा जा सकता है कि कर्ण की भुजा का वर्ग, आधार की भुजा व लम्ब की भुजा के वर्गों के योगफल के बराबर होती है।
नवीन कुमार शर्मा (स.अ.)
उच्च प्राथमिक विद्यालय खेड़की
विकासखंड ऊन जिला शामली