इस अंक के साथ ही ‘सृजन’ ने अपना एक वर्ष पूरा कर लिया | मीना मँच शामली की इस छोटी सी पत्रिका ने जनपद को बेसिक शिक्षा जगत में एक सम्मानजनक स्थान दिलाया है | प्रारम्भ से ही प्रयास रहा है कि इसका प्रत्येक नया अंक पिछले अंक से बेहतर और आकृषक हो इसके लिए निरन्तर परिश्रम किया जाता रहा है | पहले साल का यह अन्तिम अंक वेब संस्करण में भी प्रकाशित किया जा रहा है | इसके लिए ‘सृजन’ का एक सुन्दर और आकृषक वेब-पोर्टल बनाया गया है | इसका अर्थ है कि अब इसका दायरा काफी विस्तृत हो गया है | इस पत्रिका में प्रकाशित होने वाली रचनायें अब दुनियाभर में कहीं पर भी देखी और पढ़ी जा सकेंगी | निश्चित रूप से ‘सृजन’ के रचनाकारों को भी व्यापक पहचान मिलने की अपेक्षा की जा सकती है | सृजन के वेब पोर्टल पर इसके सभी पुराने अंक डाउनलोड करने के लिए उपलब्ध कराये गये हैं | आने वाले संस्करणों को आप बिना डाउनलोड किये सीधे पोर्टल पर ही पढ़ सकते हैं | ‘सृजन’ में प्रकाशन हेतु सामग्री प्रेषित करना भी अब और अधिक सरल बना दिया गया है | ईमेल की सुविधा तो दी ही गयी है साथ ही सृजन पर रचनायें और अन्य सामग्री एकत्र करने के लिए बनाये गये वेबलिंक को नवीनीकृत करके उन्नत बनाया गया है | यह लिंक भी हर समय पोर्टल पर उपलब्ध रहेगा | किसी भी रचना पर त्वरित प्रतिक्रिया देने के लिए पोर्टल पर एक ‘कॉन्टेक्ट फॉर्म ’ की भी व्यवस्था की गयी है | एक महत्वपूर्ण बात यह भी है कि ‘सृजन’ के वेब-पोर्टल पर मीना मँच शामली की गतिविधियाँ पाठ्य रूप में तो उपलब्ध होंगी ही साथ ही चित्रों और चलचित्रों के रूप में भी उपलब्ध रहेंगी |
जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी महोदया की प्रेरणा ही है जो यह अत्यधिक श्रमसाध्य कार्य सम्भव हो पा रहा है और ‘सृजन’ में अभिनव सुधार किया जा रहे हैं |
ईद के पावन पर्व की सभी को बहुत-बहुत शुभकामनाएँ |
-जयकुमार