परचम

सृजन


आज की बालिकाओं सुन लो,
तुमको आगे कदम बढ़ाना है |
आत्मनिर्भर बनके तुमको ,
गर्व से अपना शीश उठाना हैI
      देश का नेतृत्व करके तुमको,
      गौरवशाली छाप छोड़ना है I


      ऊँची छलाँग लगा अंतरिक्ष में,
      कल्पना चावला बनजाना है |
झाँसी की रानी बनकर तुमको,
अपने राष्ट्र का मान बढ़ाना है|
बनकर तुमको मदर टेरेसा ,
वात्सल्य की गंगा बहाना है I
      देश की प्रहरी बनकर तुमको ,
       सीमा पर साहस से डट जाना हैI
       कभी किसी को डॉक्टर बनके,
      सबका अमूल्य जीवन बचाना है।
 कोई क्षेत्र न बच पाए तुमसे,
 नारी का परचम लहराना है |
 जल हो थल अथवा हो नभ ,
 अपने कदमो के निशाँ बनाना है|
-अलका शर्मा

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