नवाचार

सृजन

नवाचार का शीर्षक : "रोबरवल बैलेंस (डबल बीम बैलेंस)”
विषय:  विज्ञान  एवं गणित
कक्षा:  8 के लिए विशेष रूप से एवं कक्षा 6 व 7 के लिए भी उपयोगी।
 इस उपकरण के द्वारा विज्ञान से संबंधित जड़त्व, बल आघूर्ण प्रथम श्रेणी उत्तोलक एवं संतुलन का ज्ञान कराया जाता है एवं गणित में समांतर चतुर्भुज एवं सम्मुख कोणों का ज्ञान कराया जा सकता है।
निर्माण की विधि:     इस उपकरण में दो लकड़ी की फट्टियां बीम के रूप में ऊपर नीचे एक दूसरे के समान्तर क्षैतिज रूप में एक उर्ध्वाधर आधार स्तम्भ पर मध्य मे स्वतन्त्र रूप से पेंचो की सहायता से लगायी जाती है। अब इन बीम वाली फट्टीयो के दोनो बाहर वाले किनारो को दो अलग- अलग उर्ध्वाधर फट्टियों के द्वारा पेंचो की सहायता से इस प्रकार जोड़ते है कि एक समान्तर चतुर्भुज बन जाता है एवं आधार स्तम्भ एक तिर्यक रेखा की भांति इस समान्तर चतुर्भुज को दो बराबर भागो में बांटने का कार्य करता है। आमने- सामने व ऊपर-नीचे वाली दोनो फट्टियों की लम्बाई आपस में बराबर होनी चाहिए। बराबर वाली दोनो फट्टियों के साथ वजन व वस्तु रखने हेतु क्षैतिज पलड़े लगाये जाते हैं। समांतर चतुर्भुज के चारों कोणों पर बने कोण संतुलन की अवस्था में समकोण (90 डिग्री) बनाते हैं एवं असन्तुलन होने की दशा   एक सरल रेखा पर बने कोणो का योग हमेशा 180 डिग्री होता है व सम्मुख कोणों का योग भी 180 डिग्री होता है। 

प्रयोग की विधि: प्रयोग करते समय इस उपकरण को बिल्कुल समांतर रखना चाहिए। तत्पश्चात दोनों पलड़ो में संतुलन करने के लिए बराबर-बराबर वजन या सामग्री रखनी चाहिए। संतुलन की स्थिति में हम देख सकते हैं कि आधार स्तम्भ के दोनों तरफ बने हर एक कोण का मान समकोण अर्थात 90 डिग्री होता है। असंतुलन के समय आधार स्तम्भ के दोनों तरफ बनने वाले कोणों का योग 180 डिग्री होता है। इसी के साथ-साथ दोनो बीम के बीच बनने वाले कोणों का योग 180 डिग्री होता है। इस प्रकार सम्मुख कोणों का योग 180 डिग्री आता है। यह प्रयोग करने वाले बच्चे चांदे की सहायता से जांच करके देख सकते हैं। इसी के साथ-साथ हम देखते हैं कि जब किसी भी पलडे में रखा वजन अधिक होता है तो, उस तरफ को घूर्णन गति हो जाती है, यदि संतुलन रहता है तो उस समय कोई भी घूर्णन गति नहीं होती है जो जड़त्व के सिद्धांत को दिखाता है।

इस प्रकार बच्चे इस उपकरण से संतुलन, जड़त्व, बल आघूर्ण एवं प्रथम श्रेणी उत्तोलक आदि विज्ञान के सिद्धांतों एवं समांतर चतुर्भुज के गुण एवं समान्तर रेखाओ का तिर्यक रेखा से कटने पर बने कोणो के संबंधों के गुणों को साक्षात रूप से आत्मसात कर सकते हैं।
 सावधानी: निर्माण करते समय ही यह ध्यान विशेष रूप से रखा जाता है कि फट्टियां समान मोटाई की, लचक रहित हो एवं आपस में जोडते समय उनमें स्वतंत्र गतिशीलता रहनी चाहिए।
प्रयोग क्षेत्र:  दुकानो पर सामान तोलने हेतु पारम्परिक तराजुओ में, प्रयोगशालाओ में एवं समान्तर चतुर्भुज व समान्तर रेखाओं के गुण समझने हेतू।

विशेष:  यह माड़ल डायट मुज्जफरनगर द्वारा आयोजित “टी०एल०एम० प्रतियोगिता- उन्नयन 2018” में अन्य टी०एल०एम० के साथ प्रदर्शित किया गया था व इसके लिए ऊन ब्लॉक को इस प्रतियोगिता में शामली व मुजफ्फरनगर जिले में प्रथम स्थान प्राप्त हुआ था।

नवीन कुमार शर्मा (स.अ.)
        उच्च प्राथमिक विद्यालय खेड़की विकासखंड ऊन जिला शामली

 




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