खुशियाँ

सृजन
0

 


आज ख़ुशी का दिन है अदभुत,
लौट पुनः ना आये।
जी भर कर सब प्यार करो,
यह अवसर छूट न जाये॥

हँस लो और हँसा लो जग को,
सदा यही मै गाता।
प्रेम-पिपासा मधुरिम रिश्ते,
यही सभी का नाता॥

ख़ुशियाँ बरसें अम्बर से,
सबके जीवन में हर पल।
स्नेह, प्यार का रहे सरोवर,
सबके मन में हर क्षण ॥

हे दिग-दिगंत के स्वामी प्रभुवर,
इतना तुम सुन लेना।
ख़ुशियाँ रहें सदा जीवन में,
ऐसा तुम कर देना॥


-
प्रो. सत्येन्द्र मोहन सिंह
रूहेलखंड विश्वविद्यालय,
बरेली

 

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ

एक टिप्पणी भेजें (0)

#buttons=(Ok, Go it!) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Ok, Go it!